प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन में क्या अंतर है ?


1. प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन में क्या अंतर है ?

उत्तर ⇒  प्रकाशानुवर्तन – पौधे के शीर्ष प्रकाश की दिशा में अग्रसर होते हैं । इसे प्रकाशानुवर्तन कहा जाता है।
गुरुत्वानुवर्तन – पौधे के जड़ गुरुत्वाकर्षण की दिशा में अग्रसर होते हैं इसे गुरुत्वानुवर्तन कहा जाता है।

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2. प्रतिवर्ती क्रिया तथा प्रतिवर्ती चाप में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  प्रतिवर्ती क्रिया-वह क्रिया है जिसे मेरूरज्जू नियंत्रित करता है तथा यह क्रिया हमारी इच्छा से नियंत्रित नहीं होती । इसके विषय में हम सोच नहीं सकते।प्रतिवती चाप न्यूरॉनों में आवेग संचरण एक निश्चित पथ में होता है। इस पथ को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।


3. मनुष्य में चीनी के पाचन में कौन-सा हॉर्मोन सहायक है ?

उत्तर ⇒  चीनी के पाचन में इन्सलिन सहायक है, जिसकी कमी से मधुमेह हो जाता है।


4. पीयूष ग्रंथि को ‘मास्टर ग्रंथि’ क्यों कहते हैं ?

उत्तर ⇒  पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क के आधार तल पर ऑप्टिक काइज्मा के पीछे सेलाटर्सिका गुहा में बन्द रहती है। शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो पीयूष ग्रंथि से प्रभावित न होता हो। इसी कारण इसे ‘मास्टर ग्रंथि’ भी कहते हैं।


5. आयोडीन की कमी से कौन-सी बीमारी होती है तथा कैसे ?

उत्तर ⇒  आयोडीन की कमी से घेघा (Goitre) रोग होता है। आयोडीन की कमी के कारण थायरॉक्सिन नामक हार्मोन उचित मात्रा में स्रावित नहीं हो पाता है, जिससे थॉयराइड ग्रंथि का आकार काफी बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप गले में सूजन हो जाता है। शरीर की इस अवस्था को घंघा रोग के नाम से जाना जाता है।


6. गुरुत्वानुवर्तन का प्रदर्शन चित्र के द्वारा करें।

उत्तर ⇒  पौधों की वह गति जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की दिशा में होती है, गुरुत्वानुवर्तन कहलाती है।


7. पिट्यूटरी ग्रंथि के मध्य पिंडक से कौन-सा हार्मोन स्रावित होता है ? इसके क्या कार्य हैं ?

उत्तर ⇒  मध्य पिंडक हमेशा अग्र पिंडक से ढंका होता है, जिसके द्वारा मेलेनोसाइट स्टीमलेटिंग हॉर्मोन स्रावित होता है। यह शरीर के रंग को निर्धारित करता है।


8. मादा में प्रसव के समय कौन-सा हार्मोन स्रावित होता है ? इसका क्या कार्य है ?

उत्तर ⇒  मादा में प्रसव से पूर्व रीलैक्सिन नामक हार्मोन स्रावित होता है। यह नन स्टीरॉयड हार्मान है, जो प्यूबिक सिम्फैसिस को रीलैक्स करता है।


9. रवत में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन किस ग्रंथि द्वारा स्त्रावित होते हैं ?

उत्तर ⇒  रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन अग्न्याशय में विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं के समूह, लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ (Islets of Langerhans) द्वारा स्रावित होते हैं।


10. मनुष्य के मस्तिष्क को कितने भाग में बाँटा गया है, नाम सहित बताएँ।

उत्तर ⇒  मनुष्य के मस्तिष्क को तीन भागों में बाँटा गया है।

(i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)

(ii) मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)

(iii) पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)


11. पेरूरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ?

उत्तर ⇒  मेरूरज्ज आघात के कारण विभिन्न प्रकार के आतरिक संवेदना या उद्दीपनों को ग्रहण करना मश्किल हो जाता है। भौतिक, रासायनिक एव यात्रिक आदि को ग्रहण कर उनका संवहन शरीर के विभिन्न भागों में करना असंभव हो जाता है। इसके कारण शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाती है।


12. मानव शरीर में कैल्सियम-फॉस्फोरस सामंजन हेतु आवश्यक दो हॉर्मोन का नाम लिखें।

उत्तर ⇒  पाराथायरायड ग्रंथि से पाराथार्मोन तथा कैल्सिटोनिन नामक दो हॉर्मोन निकलते हैं, जो कैल्सियम फास्फोरस, सामंजन हेतु आवश्यक है ।


13. मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्यों का वर्णन करें ।

उत्तर ⇒  मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं –

(i) आवेग ग्रहण करना तथा मस्तिष्क में ग्रहण किये गये आवेगों का विश्लेषण करना।
(ii) ग्रहण किये गये आवेगों की अनुक्रिया।
(iii) विभिन्न आवेगों का सहबंधन कर विभिन्न शारीरिक कार्यों का कुशलतापूर्वक समन्वय करना।

(iv) सूचनाओं का भंडारण करना। मस्तिष्क में अनेक सूचनाएँ चेतना या ज्ञान के रूप में रहती है। इसी कारणवश, मानव मस्तिष्क को चेतना या ज्ञान का भंडार भी कहा गया है।


14. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?

उत्तर ⇒  पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोनों के कारण होता है। अपने कछ विशिष्ट भागों को प्रभावित करने के लिए पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं। पादपों में प्रकाश जिस ओर रहेगा उसी दिशा की ओर प्ररोह बढेगा। पादपों में जलानवर्तन और रसायनावर्तन इसी प्रकार होता है। गुरुत्वानुवर्तन जड़ों को नीचे की ओर मोडकर अनुक्रिया करता है। परागनलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना रसायनावर्तन का ही उदाहरण है।


15. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?

उत्तर ⇒  अंगतंत्रों के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बिना नियंत्रण के अंगों के कार्य करने का समय एक नहीं होता एवं वे व्यवस्थित ढंग से अपने कार्य का संपादन नहीं कर सकेंगे। इसलिए, जीवों के विभिन्न अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय एवं नियंत्रण उनके विभिन्न कार्यों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक है।


16. हॉर्मोन थाइरॉक्सिन का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒  हॉर्मोन थाइरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय (general metabolism) का नियंत्रण करता है। अतः यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषकर हड्डियों, बालों इत्यादि के विकास के लिए आवश्यक है। आयोडिन की कमी से थायरॉइड ग्रंथि द्वारा बननेवाला हॉर्मोन कम बनता है जिसकी गति को बढ़ाने के प्रयास में कभी-कभी थायरॉइड ग्रंथि बढ़ जाती है जिसे घेघा या गलगंड (goitre) कहते हैं। थायरॉक्सिन मानसिक व शारीरिक वृद्धि को प्रभावित करता है।


17. नर तथा मादा जनन हार्मोन के नाम एवं कार्य लिखें।

उत्तर ⇒  नर तथा मादा जनन हार्मोनों के नाम एवं कार्य निम्नलिखित हैं –

(i) नर जनन हार्मान (Testosterone/Androgen)

(ii) मादा जनन हार्मोन (Progesterone and Estrogen)

कार्य:

(i) हार्मोन के निर्माण में सहायक होना।
(ii) द्वितीय जनन लक्षण को नियंत्रित करना।
(iii) गर्भावस्था में होने वाली क्रियाओं में सहायक होना।


18. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?

उत्तर ⇒  अंगतंत्रों के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है । बिना नियंत्रण के अंगों के कार्य करने का समय एक नहीं होता एवं वे व्यवस्थित ढंग से अपने कार्य का संपादन नहीं कर सकेंगे। इसलिए, जीवों के विभिन्न अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय एवं नियंत्रण उनके विभिन्न कार्यों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक है।


19. जिबरेलिन्स की मुख्य उपयोगिता क्या है ?

उत्तर ⇒  जिबरेलिन्स नामक पादप हॉर्मोन एक जटिल कार्बनिक यौगिक है। कोशिका-विभाजन एवं दीर्घन द्वारा ये पौधे के स्तंभ की लंबाई में वृद्धि करते हैं । इनके उपयोग से बड़े आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है। बीजरहित फलों के उत्पादन में ये ऑक्जिन की तरह सहायक होते हैं ।


20. कोई व्यक्ति अनजाने में जब किसी गर्म सतह को स्पर्श करता है, तो अचानक अपना हाथ पीछे खींच लेता है, इस प्रतिक्रिया का क्या कहते हैं ?

उत्तर ⇒  जब कोई व्यक्ति गर्म सतह को अचानक स्पर्श करने के बाद हाथ पाछ खींच लेता है, तो इसे प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं । यह हमें विभिन्न घटनाओ से बचाता है।


21. साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य की चर्चा करें।

उत्तर ⇒  साइटोकाइनिन एक पादप हार्मोन है, जिनके मुख्य कार्य हैं –

(i) कोशिकाद्रव का विभाजन
(ii) बीज की प्रसप्ति को खत्म कर उसकी अंकरण को प्रात्साहित करता है।
(iii) पौधों की पत्तियों को अधिक समय तक हरी एवं ताजी बनाये रखता है।
(iv) पत्तियों में जीर्णता को रोकता है।


22. मनष्य के शरीर में पायी जाने वाली अंतःस्त्रावी ग्रंथियों के नाम लिखे।

उत्तर ⇒  मनुष्य के शरीर में पायी जाने वाली अंत:स्रावी ग्रंथियाँ निम्नलिखित है –

(i) पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland)
(ii) थायरॉइड ग्रंथि (thyroid gland)
(iii) पाराथायरॉइड ग्रंथि (parathyroid gland)
(iv) एड्रीनल ग्रंथि (adrenal gland)
(v) अग्न्याशय की लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ (Islets of Langerhans)
(vi) जनन ग्रंथियाँ (gonads) : अंडाशय (ovary) व वृषण (testes)


23. साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन में कौन-सी भूमिका अदा करती है ?

उत्तर ⇒  साइटोकाइनिन एक प्रकार का पादप हार्मोन है, जो कोशिका द्रव के विभाजन को प्रोन्नत करता है। यह कभी भी अकेले कार्य नहीं करता है, हमेशा ऑक्जिन के साथ मिलकर यह कोशिका विभाजन को प्रोत्साहित करता है। यह पत्तियों में जीर्णता को भी रोकता है।


24. आयोडीनयुक्त नमक लेने की सलाह क्यों दी जाती है ?

उत्तर ⇒  थायरायड ग्रंथि के द्वारा थाइरॉक्सिन नामक हॉमोन का स्राव होता है। थाइरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन का होना आवश्यक है। यह कार्बोहाइटेट प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय को नियंत्रित करता है।


25. वृद्धि नियंत्रक पदार्थ किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाएँ।

उत्तर ⇒  जो पदार्थ बहुत अल्प मात्रा में स्रावित होकर विसरण के द्वारा पौधों के विभिन्न अंगों में पहुँचते हैं, वे उनकी वृद्धि एवं कई उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करते हैं। इन पदार्थों को वृद्धि नियंत्रक पदार्थ कहते हैं। ये कार्बनिक यौगिक हैं, जो पौधों से तो उत्पन्न नहीं होते हैं परंतु पादप-हार्मोन की तरह व्यवहृत होते हैं। उदाहरण के लिए ऑक्जिन, जिबरैलिन, साइटोकाइनिन इत्यादि।


26. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?

उत्तर ⇒  मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग अग्र-मस्तिष्क है । इसमें विभिन्न ग्राही संवेदी आवेग प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं । सामान्य प्रतिवर्ती क्रिया जैसे पतली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे की खिसकाना’ के मध्य एक पेशी गति का सेट है जिसपर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है । क्रियाओं में से कई मध्य मस्तिष्क तथा पश्च मस्तिष्क से नियंत्रित होती है


27. स्पर्शानुकुंचन क्या है? छुईमई की पत्तियों में कौन-सी गति प्रदर्शित होती है ?

उत्तर ⇒  पौधों में बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करने की विशेष क्षमता होती है। स्पर्श के प्रति अनुक्रिया को स्पर्शानुकुंचन कहते हैं। छईमई की पत्तियों को स्पर्श के कारण जल की मात्रा में परिवर्तन हो जाता है। जिसके कारण इनकी आकृति बदल जाती है तथा ये नीचे झुक जाती है।


28. तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है ?

उत्तर ⇒  मनुष्य में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बहुत विकसित होता है। इसमें

(i) मस्तिष्क,

(ii) मेरुरज्जु तथा

(iii) संबंधित तंत्रिकाएँ होती हैं। 

मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का मुख्य केंद्र होता है और शरीर के सभी अंगों का समन्वयन करता है। यह खोपड़ी में स्थित होता है। मेरुरज्जु, रीढ़ की हड्डी के बीच में स्थित होता है। तंत्रिकायें महीन धागे के आकार की संरचनायें होती हैं जो मस्तिष्क और मेरुरज्जु से जुड़ी होती हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं से जुड़ी होती हैं। कार्य के आधार पर तंत्रिकाओं को दो भागों में बाँटा गया है
(i) संवेदी तंत्रिकायें – संवेदी तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन को प्रभावी भागों से मस्तिष्क और मेरुरज्जु को ले जाती हैं।
(ii) प्रेरक तंत्रिकायें – प्रेरक तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन का उत्तर प्रभावित भागों तक ले जाते हैं।


29. मनष्य में कौन-सी ऐसी ग्रंथि है, जिससे इंजाइम तथा हॉर्मोन दोनों स्त्रावित होता है ?

उत्तर ⇒  अग्न्याशय (Pancreas) एक ऐसी ग्रंथि है जिससे इंजाइम तथा हॉर्मोन दोनों स्रावित होते हैं। यह छोटी आँत के पास पायी जाती है।


30. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं ?

उत्तर ⇒  अगरबत्ती या किसी गंध का पता हम अग्रमस्तिष्क से करते हैं। गंध का पता करने के लिए संवेदी केन्द्र होता है, जिससे गंध की सुचना प्राप्त होती है। नासिका में उपस्थित घ्राण ग्राही के कारण हम एक अगरबती की गंध का पता लगाते हैं।


31. पौधों में प्रकाशानवर्तन का चित्र बनाकर ऋणात्मक और धनात्मक प्रकाशानुवर्तन को दिखायें।

उत्तर ⇒  पौधों में बाह्य उद्यीपनों को ग्रहण करने की क्षमता होता है तथा उसके अनुसार उसमें गति भी होती है। प्रकाशानुवर्तन में पौधों के अंग प्रकाश की ओर गति करते हैं। इस प्रकार की गति तने के शीर्ष भाग या पत्तियों में स्पष्ट दिखती है जो धनात्मक है। जड़ प्रकाश से दूर मुड़कर अनुक्रिया करती है जो ऋणात्मक है।

नियत्रण एवं समन्वय

32. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए अभिकल्पना की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।

उत्तर ⇒  जलानुवर्तन दर्शाने के लिए हम लकडी का ऊपर से खुला बक्सा लेंगे। इसमें मिट्टी व खाद्य का मिश्रण डालेंगे । इसके एक सिरे पर हम एक पौधा लगाएँगे। बक्से में पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ देंगे, पौधों को उसी कीप से प्रतिदिन पानी डालेंगे। लगभग एक हफ्ते के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटाकर हम ध्यान से देखेंगे। पौधे की जड़ों की वृद्धि उसी दिशा में दिखेगी जिस दिशा से कीप द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी।

उत्तर ⇒  अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषता है –

अलैंगिक जनन से पैदा होनेवाली संतानें आनुवंशिक गुणों में ठीक जनकों की तरह होती हैं, क्योंकि इसमें युग्मकों का संगलन नहीं होता है । इसमें निषेचन की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि युग्मकों का संगलन (fusion) नहीं होता ।

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2. नर जनन तंत्र के सभी संरचनाओं के नाम लिखें।

उत्तर ⇒  नर जनन तंत्र में निम्नांकित संरचनाएँ पायी जाती हैं—दो वृषण, दो अधिवृषण, दो शुक्रवाहिनी, दो शुक्राशय एवं एक मूत्रमार्ग तथा शिश्न।


3. लैंगिक जनन का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒  सभी जीवों में गुणसूत्रों की एक संख्या निश्चित होती है। अलैंगिक जनन करने वाले में असमसूत्री या समसूत्री प्रकार का कोशिका विभाजन होता है, जिसके कारण उनमें कोई विभिन्नता नहीं आती। प्रत्येक पीढ़ी में क्रोमोसोम की संख्या भी निश्चित रहती है। लैंगिक जनन करने वालों में अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन होता है, जिससे उसमें भिन्नता आ जाती है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ती जाती है।


4. पौधों में लैंगिक जनन कैसे होता है ?

उत्तर ⇒  पौधों में लैंगिक जनन – एन्जिओस्पर्मस (पुष्पी पौधे) में अधिकांश पुष्प द्विलिंगी होते हैं। इनमें दोनों प्रकार के जननांग होते हैं। पुमंग को नर जननांग या जायांग तथा कारपल को मादा जननांग कहते हैं। पुमंग में परागकण बनते हैं जिसे माइक्रोस्पोर भी कहते हैं। जायांग में बीजाण्ड या मेगास्पोर बनते हैं। ये अर्धसूत्री विभाजन द्वारा बनते हैं। इनके निषेचन के बाद फल तथा बीज बनते हैं। बीज के अंकुरण के बाद नन्हा पौधा बनता है।


5. शुक्रजनन नलिका के बारे में बताएँ।

उत्तर ⇒  प्रत्येक वृषण में 900 शुक्रजनन नलिका होती है, जिसके अंदर शुक्राणु का निर्माण होता है। नर्स कोशिका, शुक्राण को पोषण प्रदान करती है।


6. जनन किसी जीव की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?

उत्तर ⇒  किसी भी स्पीशीज़ की समष्टि के स्थायित्व में जनन और मृत्यु दर में लगभग बराबरी की दर हो तो स्थायित्व बना रहता है । एक समष्टि में जन्म दर और मृत्यु दर ही उसके आधार पर निर्धारण करते हैं।


7. परागण से क्या समझते हैं ? परागण कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर ⇒  नर जनन अंग से परागकण का गमन मादा जनन अंग पर होना परागण कहलाता है । इसमें कीडे, जानवर, हवा तथा पानी सहायक होते हैं। परागण दो प्रकार के होते हैं

(i) स्वपरागण

(ii) परपरागण


8. ऋतुस्त्राव क्यों होता है ?

उत्तर ⇒  यदि अंडकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। गर्भाशय भी प्रतिमाह निषेचित अंड की प्राप्ति हेत तैयारी करता है। अत: इसकी अंत:भित्ति मांसल एवं स्पॉनजी हो जाती है जो कि अंड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परंतु निषेचन न होने की अवस्था में इस पर्त की भी आवश्यकता नहीं रहती। अतः यह पर्त धीरे-धीरे टटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक मास का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्राव या रजोधर्म कहते हैं।


9. युग्मनज से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  परिपक्व शुक्राणु, अंडाणु में पूरी तरह मिलकर युग्मनज का निर्माण करती है।


10. वर्षा होने के समय मक्का के परागण क्रिया में क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है ?

उत्तर ⇒  इन पौधों में आनुवंशिक विभिन्नता नहीं होती है. जिसके कारण ये पौधे पर्यावरण के उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाते हैं। ऐसे पौधे में पर्यावरण के साथ अनुकूलित होने की झमता कम होती है जिसके कारण उत्पादन कम होने, बीमारियाँ होने तथा मर जाने की संभावना बढ़ जाती है।


11. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?

उत्तर ⇒  मानव में वृषण के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
(i) वृषण में शुक्राणु उत्पन्न होते हैं जो लैंगिक जनन क्रिया में सक्रिय भाग लेकर भावी पीढ़ी को जन्म देने में सहायक होते हैं।

(ii) वषण में उत्पन्न हॉर्मोन जिसे टैस्टोस्टीरोन कहते हैं, मानव शरीर में द्वितीयक जनन लक्षणों को स्थापित करने के लिए उत्तरदायी होता है ।


12. कार्पसल्यूटियम का कार्य समझाएँ।

उत्तर ⇒  कार्पसल्यूटियम प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का स्राव करता है, जो गर्भाशय की दीवारों को काफी मोटा करता है तथा गर्भधारण में मदद करता है।


13. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए ही लाभदायक है, परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों ?

उत्तर ⇒  जीवों में पायी जानेवाली विभिन्नता, नई जाति के प्रादुर्भाव में मदद करता है। नये वातावरण एवं प्रतिकूल परिस्थिति में स्थायित्व कायम रखता है। यह विभिन्नता व्यष्टि के लिए लाभदायक नहीं होती है। क्योंकि किसी निश्चित स्थान पर प्राकृतिक आपदाएँ इसे नष्ट कर देती हैं।


14. गर्भ निरोधक गोलियों के बारे में बताएँ।

उत्तर ⇒  परिवार नियोजन के कई उपायों में गर्भ निरोधक गोलियाँ भी एक उपाय है। इनमें कृत्रिम प्रोजेस्टेरॉन तथा एस्ट्रोजन डाला जाता है। यह ESH एवं LH के स्राव पर प्रतिबंध लगा देता है। जिसके कारण अंडोत्सर्ग की क्रिया नहीं होती है।


15. परागण क्या है ? परागण में कीटों की क्या भूमिका होती है ?

उत्तर ⇒  परागकोष से परागकणों का प्रकीर्णन वर्तिकाग्र तक होने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं । कीटों के द्वार पर-परागण की क्रिया होती है ।


16. द्विलिंगी जीव कौन-से होते हैं? उदाहरण लिखें।

उत्तर ⇒  वे जीव जिनमें नर तथा मादा दोनों अंग होते हैं तथा वे नर तथा मादा दोनों प्रकार के युग्मों को उत्पन्न करते हैं, उभयलिंगी अथवा द्विलिंगी जीव कहलाते हैं।
जैसे-केंचुआ।


17. डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए क्यों आवश्यक है ?

उत्तर ⇒  एक पीढी से दूसरी पीढी में आनवंशिक गणों का वाहक क्रोमोसोम होता है, जो D.N.A. से बना होता है। अतः इसकी प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है।


18. परागण क्रिया निषेचन क्रिया से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर ⇒  परागकणों के परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के दूसरे पुष्पों के वर्तिकान तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं। निषेचन के अंतर्गत परागकणों के वर्तिकान तक पहुँचने के बाद निषेचन की क्रिया होती है। नर युग्मक और मादा युग्मक के संगलन को निषेचन कहा जाता है।


19. लैंगिक जनन संचारित रोगों के बारे में लिखें।

उत्तर ⇒  लैंगिक जनन संचारित रोग (sexually transmitted disease, STD) यौन संबंध से होनेवाले संक्रामक रोग को कहा जाता है । यह रोग कई तरह के रोगाणुओं, जैसे—बैक्टीरिया, वाइरस, परजीवी प्रोटोजोआ, यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीवों द्वारा होते हैं । मनुष्य में होनेवाले ऐसे प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं –

बैक्टीरिया जनित रोग – गोनोरिया (Gonorrhoea), सिफलिस (Syphlis), यूरेथ्राइटिस (Urethrites) तथा सर्विसाइटिस (Cervicitis) बैक्टीरिया के संक्रमण से होनेवाले कुछ प्रमुख रोग हैं।

वायरस जनित रोग – सर्विक्स कैंसर (Cervix Carcinoma), हर्पिस (Herpes) तथा एड्स (Acquired Immune Deficiency Syndrome, AIDS), इत्यादि ।

प्रोटोजोआ जनित रोग — स्त्रियों के मूत्रजनन नलिकाओं, एक प्रकार के प्रोटोजोआ के संक्रमण से होनेवाला रोग ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis) है ।


20. एकलिंगी (Asexual) तथा द्विलिंगी (Bisexual) की परिभाषा एक-एक उदाहरण देकर कीजिए।

उत्तर ⇒  एकलिंगी –वे जीव जिनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हों उन्हें एकलिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण—मनुष्य।

द्विलिंगी-वे जीव जिनमें नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें द्विलिंगी कहते हैं। उदाहरण केंचुआ।


21. कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें। यह किन पौधों में करते हैं ?

उत्तर ⇒  कायिक पादप शरीर का कोई भी कायिक या वर्षी भाग (जैसे—जड़, तना, पत्ती) विलग और परिवर्द्धित होकर नए पौधों का निर्माण करते हैं, कायिक प्रवर्धन कहलाता है। कायिक प्रवर्धन मुख्यतः गुलाब, आलू, ब्रायोफाइलम आदि में किया जाता है।


22. मुकुलन क्या है ?

उत्तर ⇒  मुकुलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है। जिसमें जीवों की उत्पति जनक के शरीर के धरातल से कलिका फूटने या प्रवर्ध निकलने के फलस्वरूप होता है।
इस प्रक्रिया में जीव शरीर के किसी भाग से एक या एक से अधिक कंदरूपी उभार निकलता है। जिसे मुकुल या बड (Bud) कहते हैं। उसके बाद जनक कोशिका केन्द्रक मुकुल में पहुँच जाता है। केन्द्रकयुक्त मुकुल जनक के शरीर से विलग होकर नए जीव का निर्माण करता है।

चित्र- यीस्ट में मुकुलन

चित्र – यीस्ट में मुकुलन


23. पौधों में लैंगिक जनन के लिए कौन-सा भाग उत्तरदायी है ? समझाएँ।

उत्तर ⇒  पौधों में लैंगिक जनन के लिए पुष्प उत्तरदायी होता है । पुष्प के चार भाग होते हैं, जिसमें नर जनन अंग तथा मादा जनन अंग दोनों पाए जाते हैं। नर जनन अंग को पुशंग तथा मादा जनन अंग को जायांग कहते हैं।


24. बहुखंडन किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒  एक कोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा नए जीव की उत्पत्ति होती है इसमें कोशिका अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं । जैसे मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम ।


25. मासिक चक्र कब और क्यों होता है ?

उत्तर ⇒  जब परिपक्व अंडाणु, शुक्राणु से संयोजन नहीं कर पाता है, तो टूट जाता है, जिसके साथ आंतरिक दीवार एवं अन्य उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकलते हैं, इसे मासिक चक्र कहते हैं। यह 28 दिनों के अंतराल पर होता है।


26. शुक्राणु का निर्माण कहाँ तथा कैसे होता है ?

उत्तर ⇒  शुक्राणु का निर्माण वृषण (testes) में होता है। यह लगातार कोशिका विभाजन के कारण होता है। संतति कोशिका धीरे-धीरे शुक्राणु में बदल जाती है।


27. एक प्ररूपी पुष्प के सहायक अंग एवं आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है ?

उत्तर ⇒  एक प्ररूपी पुष्प (typical flower) में चार प्रकार के. पुष्पपत्र होते है

(i) बाह्यदलपुंज (Calyx),

(ii) दलपुंज (Corolla),

(iii) पुमंग (Androecium),

(iv) जायांग (Gynoecium) इनमें से दो बाहरी चक्रों यानी बाह्यदलपुंज एवं दलपुंज को सहायक अंग(accessory organs) एवं भीतरी दो चक्रों यानी पुमंग और जायांग को आवश्यक अंग (essential organs) कहा जाता है। सहायक अंग फूल को आकर्षक बनाने के साथ आवश्यक अंगों की रक्षा भी करते हैं तथा आवश्यक अंग जनन का कार्य करत हैं। इनमें यही भिन्नता है।

चित्र: पुष्प का अनुदैर्घ्य काट

चित्र पुष्प का अनुदैर्घ्य काट


28. एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है ?

उत्तर ⇒  एक कोशिकीय जीव अधिकतर विखंडन, मुकुलन, पुनरुद्भवन, बहुखंडन आदि विधियों से जनन करते हैं। इनमें सिर्फ एक कोशिका ही होता है। वे सरलता से काशिका विभाजन के द्वारा तेजी से जनन कर सकते हैं। बहकोशिकीय जीवों में जनन क्रिया जटिल होती है और वे मख्य रूप से लैंगिक जनन क्रिया ही होती है।


29. इस चित्र के विषय में टिप्पणी लिखें।

जीव जनन कैसे करते हैं

चित्र  हाइड्रा में मुकुलन

उत्तर ⇒  कुछ प्राणी पुनर्जनन की क्षमता वाली कोशिकाओं का उपयोग मुकुलन के लिए करते हैं । हाइड्रा में कोशिकाओं के नियमित विभाजन के कारण एक स्थान पर उभार विकसित हो जाता है । यह उभार (मुकुल) वृद्धि करता हुआ नन्हें जीव में बदल जाता है तथा पूर्ण विकसित होकर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीव बन जाता है।


30. अमीबा के द्विखंडन प्रजनन को चित्र द्वारा दर्शायें ।

उत्तर ⇒ 

जीव जनन कैसे करते हैं

31. बीजाणुजनन से जीवों को क्या लाभ है ?

उत्तर ⇒  बीजाणुजनन से जीवों को यह लाभ है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में बीजाणु या spores नष्ट नहीं होते, अपितु, बीजाणुधानी अपने चारों ओर एक मोटा
और कड़ा आवरण बना लेते हैं जो इन्हें नष्ट नहीं होने देता। वातावरण में अनुकल परिस्थिति बहाल होने पर बीजाणुधानी की मोटी भित्ति फट जाती है और बीजाणु बाहर आ जाते हैं। अतः बीजाणुजनन से ज्यादा संख्या में एवं जल्दी से जीव अपनी संतानों की उत्पत्ति कर सकते हैं।

जीव जनन कैसे करते हैं

32 द्विखंडन एवं बहुखंडन में अंतर बताएँ।

उत्तर ⇒  द्विखंडन एवं बहुखंडन में अंतर इस प्रकार हैं –

                                   द्विखंडन                                    बहुखंडन
(i) द्विखंडन की वह विधि जिसमें दो समान संतति निर्माण करते हैं(i) विखंडन की वह विधि जिसमें अनेक समान संतति का निर्माण होता है।
  (ii) यह हमेशा अनूकूल वातावरण में होता है।(ii) यह प्रतिकूल वातावरण में भी में होता है।
(iii) इसमें जनक जीव का कोई भी मात्रा नष्ट नहीं होता है(iii) इसमें जनक का कोशिकाद्रव्य या झिल्ली नष्ट हो जाता है।

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