पर्यावरण किसे कहते हैं

 पर्यावरण किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒  किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है तथा जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण या वातावरण कहा जाता है । उदाहरण के तौर पर पौधे, जानवर किसा मनुष्य क पर्यावरण का जैविक हिस्सा हैं । जिस धरती पर वह रहता है एवं फसल उपजाता है, जल जो वह पीता है एवं सिंचाई के लिए उपयोग में लाता है, हवा जा उसकी प्राण वाय है, ये उसके भौतिक वातावरण का भाग है। इसके अलावा वायुमंडलीय कारक जैसे सूर्य की रोशनी, वर्षा, तापक्रम एवं नमी आदि भी भौतिक वातावरण के ही भाग हैं ।


2. वायु-प्रदूषण के कारक कौन-कौन से है ?

उत्तर ⇒  वायु प्रदूषण का मुख्य कारक है—कार्बन डाइऑक्साइड गैस, सल्फर डाइऑक्साइड गैस एवं कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ।


3. प्रदूषण से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  पर्यावरण में अवांछनीय पदार्थों का मिलना प्रदूषण कहलाता है। यह वायु, जल तथा मिट्टी सबको प्रदूषित कर सकता है ।


4. ओजोन स्तर का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒  ओजोन स्तर सूर्य के प्रकाश में स्थित हानिकारक पराबैंगनी किरणों (ultravioletravs) का अवशोषण कर लेता है जो मनुष्य में त्वचा-कैंसर, मोतियाबिंद तथा अनेक प्रकार के उत्परिवर्तन (mutation) को जन्म देती है ।


5. उत्पादक से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  वैसे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता रखते हैं. उत्पादक कहलाते हैं। ऐसे जीव सूर्य के प्रकाश ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा के रूप में ग्रहण
कर क्लोरोफिल की उपस्थिति में रासायनिक स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं । जो कार्बनिक यौगिक के रूप में हरे पौधों की उत्तकों में संचित रहता है। जैसे हरे पौधे। ये मिट्टी से प्रमुख तत्वों को अवशोषित करने में समर्थ हैं तथा साथ ही वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।


6. जैव अनिम्नीकरण अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुँचती है ?

उत्तर ⇒  प्रदूषण के ऐसे कारक जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा – जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात् प्राकृतिक विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं । विभिन्न प्रकार के रसायनों, जैसे काटनाशक एवं पीड़कनाशक DDT, शीशा, आर्सेनिक, ऐलमिनियम, प्लास्टिक, रेडियोधर्मी पदार्थ जैसे प्रदूषण के कारक पर्यावरण को अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं। यह लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं चूँकि यह अपघटित नहीं होते ।


7. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के क्या कार्य हैं ?

उत्तर ⇒  पारिस्थितिक तंत्र में पौधे उत्पादक का कार्य करते हैं। इसके द्वारा निम्नलिखित कार्य होते हैं –

(i) किसी भी पारितंत्र में रहने वाले जीव की प्रकृति का निर्धारण हरे पौधों या उत्पादक के द्वारा होता है।
(ii) वायुमंडल में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के बीच का संतुलन हरे पौधों द्वारा ही होता है।
(iii) केवल हरे पौधे ही पारितंत्र के मूल ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा का प्रग्रहण कर सकते हैं।


8. पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएँ।

उत्तर ⇒ 

पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएँ।

चित्र : रिस्थितिक तंत्र के घटक 


9. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र का कोई दो उदाहरण दें।

उत्तर ⇒  कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र के दो उदाहरण हैं –

(j) फुलवारी और

(ii) जलजीवशाला या एक्वैरियम


10. मैदानी पारिस्थितिक में उत्पादक एवं उच्चतम श्रेणी के उपभोक्ता का नाम बताएँ ।

उत्तर ⇒  मैदानी ‘पारिस्थितिक में उत्पादक हरे घास’ होते हैं, तथा बाज ‘उच्चतम श्रेणी’ के उपभोक्ता ।


11. पारिस्थितिक तंत्र क्या है ? पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं दो जैव घटकों के नाम लिखें।

उत्तर ⇒  ‘जीवमंडल के विभिन्न घटक तथा उसके बीच ऊर्जा और पदार्थ का आदान प्रदान, सभी एकसाथ मिलकर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं । ‘पारिस्थितिक तंत्र के दो जैव घटकों के नाम हैं-

(i) पौधे और (ii) जंतु


12. पारिस्थितिकी दक्षता को परिभाषित करें ।

उत्तर ⇒  किसी भी पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह की दक्षता उसके भोज्य पदार्थ के सेवन तथा उसे जैव मात्रा में परिवर्तित करने की क्षमता पर निर्भर करता है, पारिस्थितिकी दक्षता कहलाता है ।


13. पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए।

उत्तर ⇒  पारितंत्र के आहार श्रृंखला में क्रमबद्ध तरीके से कई जीव एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। जिस पारितंत्र के आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण एक पोषीस्तर को निरुपित करता है। पारिस्थितिक तंत्र में चार, पाँच या उससे भी अधिक पोषी स्तर की संभावनाएँ हो सकती हैं। इसे निम्न आहार श्रृंखला द्वारा समझा जा सकता है।
पेड़ → हिरण → बाघ →

यहाँ पेड़-पौधा प्रथम पोषी स्तर है, हिरण द्वितीय पोषी स्तर हैं तथा बाघ तृतीय – एवं उच्चतम श्रेणी के पोषी स्तर हैं।


14. यदि पीड़कनाशी अपघटित न हो तो आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषी स्तर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर ⇒  यदि पीड़कनाशी अपघटित न हो तो, यह फसलों में संचित होना शुरू होगा। फसल के द्वारा यह आहार-शृंखला के विभिन्न पोषी स्तर तक पहुंचने लगेगा जहाँ इसकी मात्रा बढ़ती चली जाएगी। अंततः सबसे अधिक मात्रा सर्वोच्च उपभोक्ता ग्रहण करेंगे। इसके कारण कई खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसमें मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। अतः पीड़कनाशी का अपघटित न होना विभिन्न पोषी स्तर पर प्रतिकूल असर डालता है।


15. आहार श्रृंखला को परिभाषित करें।

उत्तर ⇒  पारिस्थितिक तंत्र के सभी जैव घटक शृंखलाबद्ध तरीके से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तथा अन्योन्याश्रय संबंध रखते हैं । यह श्रृंखला आहार श्रृंखला कहलाती है।

(सूर्य)       (पेड़-पौधे)        (हिरन)         (बाघ) 

सौर ऊर्जा → उत्पादक → प्राथमिक → द्वितीयक
उपभोक्ता    उपभोक्ता                                 


16. आहार-जाल से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  पारिस्थितिक तंत्र में सामान्यतः एक साथ कई आहार श्रृंखलाएँ हमेशा सीधी न होकर एक-दूसरे से आड़े-तिरछे जुड़कर एक जाल जैसी संरचना बनाती हैं। किसी भी पारितंत्र में आहार ‘शृंखला का यह जाल आहार-जाल कहलाता है।


17. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?

उत्तर ⇒  ओजोन (03) के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। यह वायुमंडल के ऊपरी सतह में पाया जाता है । यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है । यही पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है जिससे मानव में त्वचा का कैंसर हो जाता है। यह वायुमंडल में 15 km से लेकर 50 km ऊँचाई तक पाया जाता है । अतः यह हमारे पारितंत्र के लिए काफी लाभदायक है।


18. पारितंत्र में अपघटकों की भूमिका बताइए।

उत्तर ⇒  पारितंत्र में कुछ सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, कवक (Fungi) एवं प्रोटोजोआ पाये जाते हैं। ये सूक्ष्म जीव पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर एवं वयं पदार्थों (excretory substance) का अपघटन करते हैं। अतः ये अपघटक कहलाते हैं। ऐसे जीव पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर एवं वर्ण्य पदार्थों में उपस्थित जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्त्वों में विघटित कर देते हैं। इस अकार्बनिक पदार्थ को पौधे पुनः मिट्टी से ग्रहण करते हैं और वृद्धि करते हैं। अतः पारितंत्र में अपघटक की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।


19. निचले पोषी स्तर पर सामान्यतः ऊपरी पोषी स्तर की तुलना में जीवों की संख्या अधिक क्यों रहती है ?

उत्तर ⇒  सामान्यत: उच्च पोषी स्तर के जीवों को अपनी आवश्यकताओं की आपति के लिए ज्यादा मात्रा में खाद्य-पदार्थों की जरूरत होती है, अतः निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या अधिक होती है । अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाए तो एक पिरामिड के सदृश आकृति बनती है ।


20. उपभोक्ता से क्या समझते हैं ? प्राथमिक तथा द्वितीयक उपभोक्ता का उदाहरण दें।

उत्तर ⇒  ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्णरूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं । सभी जंतु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। गाय, भैंस प्राथमिक उपभोक्ता एवं शेर, बाघ द्वितीयक उपभोक्ता के उदाहरण हैं।


21. ऐरोसॉल रसायन के हानिकारक प्रभाव क्या हैं ?

उत्तर ⇒  कुछ सुगंध (perfumes), झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक (deodrant) आदि डिब्बों में आते हैं और फुहारा या झाग के रूप में निकलते हैं । इन्हें ऐरोसॉल कहते हैं । इनके उपयोग से वाष्पशील CFC (क्लोरोफ्लोरो कार्बन) वायुमंडल में पहुँचकर ओजोन स्तर को नष्ट करते हैं । CFC का उपयोग व्यापक तौर पर एयरकंडीशनरों, रेफ्रीजरेटरों, शीतलकों (coolants), जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है।


22. संख्या का पिरामिड किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒  अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाय तो एक पिरामिड के सदृश आकृति बनती है जिसे संख्या का पिरामिड (pyramid of numbers) कहा जाता है। सामान्यतः उच्च पोषी स्तर के जीवों को अपनी आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए ज्यादा मात्रा में खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है, अत: निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या अधिक होती है ।

चित्र : घासस्थल में संख्या का पिरामिड

चित्र : घासस्थल में संख्या का पिरामिड


23. ऐसे दो तरीके बताइये जिनसे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

उत्तर ⇒ 

(i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता है। यह पदार्थ सामान्यतः ‘अक्रिय’ (inert) हैं तथा पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं अथवा पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं।

(ii) वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को कई प्रकार से हानि पहुँचाते हैं । यही उपरोक्त दो तरीके हैं जिनसे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।


24. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का वातावरण में बढ़ने का मुख्य कारण क्या है ?

उत्तर ⇒  कल-कारखानों एवं उद्योगों के कारण अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ वातावरण में काफी बढ़ गए हैं ।


25. किसी भी परितंत्र में जैव घटक कौन-कौन से हैं ? उत्पादक एवं उपभोक्ता में उदाहरण सहित विभेद करें।

उत्तर – किसी भी पारितंत्र में निम्न जैव घटक हैं
पेड़-पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव आदि। किसी भी पारितंत्र में हरे पौधे तथा प्रकाश-संश्लेषी बैक्टीरिया जो अपना भोजन प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा बनाते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। इन्हें स्वपोषी भी कहते हैं। किसी भी पारितंत्र में वैसे जीव जो अपने भोजन का संश्लेषण स्वयं नहीं कर पाते, अपितु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं।


26. पारिस्थितिक तंत्र एवं जीवोम या बायोम में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  पारिस्थिति तंत्र एवं जीवोम या बायोम में अंतर इस प्रकार है

                             पारिस्थितिक तंत्र                              जीवोम या बायोम
           1. यह जैव जगत् की स्वयंधारी इकाई है।       1. यह बहुत से पारिस्थितिक तंत्रों का समूह है।
2. यह जैव जीवों और अजैव पर्यावरण से मिलकर बना है।2. इसमें समान जलवायु वाले एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के अनेक पारिस्थितिक तंत्र होते है
3. यह जैव जगत् की अपेक्षाकृत छोटी इकाई है।3. यह जैव जगत् की एक बहुत बड़ी इकाई है।

27. जैव अनिम्नीकरणीय एवं जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में क्या अंतर है ? उदाहरणसहित समझाएँ ।

उत्तर ⇒  अंतर निम्न है –

                  जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट                    जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
(i) ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुनः उपयोग में नहीं लाया जाता है, जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टकहलाता है।(i) ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुन: उपयोग में आनेवाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाता है।
(ii) कीटनाशक, DDT, आर्सेनिक, प्लास्टिक आदि ।(ii) मल-मूत्र, मृत शरीर, घरेलू अपशिष्ट ।
(iii) कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट  (iii) रेडियोधर्मी पदार्थ आदि ।

 अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु पाँच कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ 

(i) मितव्ययितापूर्वक उपयोग करके,

(ii) वृक्षारोपण द्वारा,

(iii) वैकल्पिक सात ,

(IV) समुचित रख-रखाव,

(v) नियंत्रित एवं दरगामी प्रयोग हतु जागरूक कर।


2. प्राकृतिक संसाधनों को उदाहरण सहित परिभाषित काजिए’।

उत्तर ⇒ प्रकृति में पाए जाने वाले मनष्य के लिए उपयोगी पदार्थों को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। उदाहरण—वायु, जल, मिट्टी, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम आदि प्राकृतिक संसाधन हैं।

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3. प्राकृतिक संसाधनों को किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है ?

उत्तर ⇒ प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कम से कम करके या उसक बदल किसी अन्य स्रोत पर निर्भर करके प्राकृतिक संसाधनों को बचाया जा सकता है। कृत्रिम ससाधना को बढ़ावा देकर भी हम संसाधनों की सुरक्षा कर सकते हैं।


4. संसाधनों के दोहन के लिए लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ क्या-क्या हो सकते हैं ?

उत्तर ⇒ संसाधनों के दोहन के लिए लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं –
(i) यह दीर्घकालीन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बनायी जाती है ।
(ii) इनकी लागत अधिक होती है पर यह लाभ भी अधिक देते हैं ।
(iii) इन परियोजनाओं के प्रभाव व्यापक क्षेत्र पर पड़ते हैं ।


5. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना से क्या लाभ हो सकते हैं ?

उत्तर ⇒ संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं –

(i) संसाधनों पर कम दबाव तथा पर्यावरण की न्यूनतम क्षति ।

(ii) संसाधनों के पुनः पूरण के लिए पर्याप्त समय ।

(iii) प्रभावों को कम करने एवं पर्यावरण को सुधारने में सुविधा ।


6. नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ यूरेनियम (भारी द्रव्यमान) पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी की जाती है और यह हल्के नाभिकों में टूट जाता है तथा विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होता है । इस ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।


7. जीवमंडल से क्या समझते हो ?

उत्तर ⇒ जीवमंडल जैव-व्यवस्था का सबसे बड़ा स्तर [Level] है। संसार के विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र या पारितंत्र एक साथ मिलकर जीवमंडल का निर्माण करते हैं।


8. किन्हीं दो वन उत्पादों का पता लगाइये जो किसी उद्योग के आधार हैं ?

उत्तर ⇒ तेंदु पत्ती का उपयोग बीडी बनाने में व यूक्लिप्टस-बाँस के पेड़ों का कागज मिल में ये दो वन उत्पाद हैं जो कि इनके उद्योग के आधार हैं।


9. रेडियोधर्मिता किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒ ऐसी परिघटना है जिसमें कुछ तत्त्वों के परमाणु नाभिकों के विघटन के परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन (बीटा कण) तथा गामा किरणों (वैद्युत चुंबकीय विकिरण) का स्वतः उत्सर्जन होता है।


10. जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं ? दो जीवाश्म ईंधन के नाम लिखें।

उत्तर ⇒ लाखों वर्ष पूर्व जैव मात्रा के अपघटन से प्राप्त होने वाले ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
जैसे—कोयला और पेट्रोलियम ।


11. पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के ‘R’ का क्या उपयोग है ?

उत्तर ⇒ पर्यावरण को बचाने के लिए तीन प्रकार के ‘R’ का उपयोग हम करते हैं—’कम उपयोग’ (reduce), पुन: चक्रण (recycle) व पुन: उपयोग (reuse)।


12. मानव के किन क्रियाकलापों ने गंगा को प्रदूषित किया है ?

उत्तर ⇒  नहाना, कपड़े धोना, मृत व्यक्तियों की राख व शवों को बहाना, उद्योगों द्वारा उत्पन्न रासायनिक उत्सर्जन आदि मानव के क्रिया-कलाप हैं जिनसे गंगा प्रदूषित हो गयी है।


13. “ग्रीन हाउस प्रभाव” से हमारे ऊपर क्या असर पड़ेगा ?

उत्तर ⇒ 

(i) अत्यधिक ग्रीनहाउस प्रभाव होने से पृथ्वी की सतह तथा उसके वायुमंडल का ताप बहुत अधिक बढ़ जाएगा। वायुमंडल का ताप अत्यधिक बढ़ जाने से मानव तथा जंतुओं का जीवन कष्टदायक हो जाएगा तथा पेड़-पौधों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।(ii): वायुमंडल का ताप अत्यधिक बढ़ने से पर्वतों की बर्फ शीघ्रता से पिघल जाएगी, जिससे नदियों में बाढ़ आ सकती है तथा जान-माल की हानि हो । सकती है।
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड के अणु अवरक्त विकिरणों का शोषण कर – सकते हैं। वायुमंडल में Co2 की परत अवरक्त मिश्रण का अवशोषण कर लेती है तथा उन्हें पृथ्वी के पर्यावरण से नहीं जाने देती। फलस्वरूप वायुमंडल का ताप बढ़ जाता है।


14. पर्यावरण को बचाने का मुख्य उपाय क्या है ?

उत्तर ⇒  पर्यावरण को बचाने का मुख्य उपाय है—वृक्षारोपण, C.N.G., धुआँरहित – चिमनी इत्यादि। इससे प्रदूषित हवा, पानी एवं मिट्टी को नियंत्रित किया जा सकता है।


15. जीवाश्म ईंधन जैसे संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता क्यों है ?

उत्तर ⇒  जीवाश्म ईंधन जैसे संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग का आवश्यकता – है क्योंकि इनकी मात्रा सीमित है और इनके दहन से पर्यावरण प्रदूषित होता है ।


16. बाघ संरक्षण योजना क्या है ? इसे कब लागू किया गया था ?

उत्तर ⇒  जंगल के लगातार कटने के कारण बाघ की संख्या घटती जा रहा है, – इसे बचाने के लिए बाघ संरक्षण योजना तैयार किया गया है । जिसके अतर्गत
28 टाइगर रिजर्व भारत में खोला गया है । यह योजना भारत सरकार के साथ WWF (World Wild life Fund) का भी है । इसे भारत में 1995 में लागू किया गया था ।


17. विभिन्न वन उत्पादों के दावेदार कौन हैं ?

उत्तर ⇒  विभिन्न वन उत्पादों के दावेदार निम्नलिखित हैं

(i) वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले अपनी अनेक आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं।

(ii) सरकार का वन विभाग जिनके पास वनों का स्वामित्व है तथा वे वनों से प्राप्त संसाधनों का नियंत्रण करते हैं।

(iii) उद्योगपति जो तेंदू पत्तों का उपयोग बीड़ी बनाने से लेकर कागज मिल तक विभिन्न वन उत्पादों का उपयोग करते हैं। परंतु वे वनों के किसी भी एक क्षेत्र पर निर्भर नहीं रहते ।

(iv) वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमी जो प्रकृति का संरक्षण इसकी आद्य अवस्था में करना चाहते हैं ।


18. घुमंतु चरवाहों को विशाल हिमालय राष्ट्रीय उद्यान में रोकने का क्या नतीजा हुआ ?

उत्तर ⇒  घुमंतु चरवाहों को विशाल हिमालय राष्ट्रीय उद्यान में रोकने से वहाँ घास पहले बहुत लंबी हो जाती है, फिर लंबाई के कारण जमीन पर गिर जाती है जिससे नयी घास की वृद्धि रुक जाती है ।


19. राष्ट्रीय पुरस्कार ‘अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार’ किनकी स्मृति में दिया जाता है ?

उत्तर ⇒  राष्ट्रीय पुरस्कार ‘अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार’ अमृता देवी विश्नोई की स्मृति में दिया जाता है जिन्होंने 1731 में जोधपुर के पास खेजराल गाँव में ‘खेजरी वृक्षों को बचाने हेतु 363 लोगों के साथ अपने आपको बलिदान कर दिया था ।


20. ‘गंगा का प्रदूषण’ पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर ⇒ गंगा हिमालय में स्थित अपने उद्गम गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी में गंगा सागर तक 2500 km तक की यात्रा करती है । इसके किनारे स्थित नगरों ने इसमें उत्सर्जित कचरा एवं मल प्रवाहित कर इसे एक नाले में परिवर्तित कर दिया है । मानव के अन्य क्रियाकलाप जैसे—नहाना, कपड़े धोना, मृत व्यक्तियों की राख एवं शवों को बहाना, उद्योगों द्वारा उत्पादित रासायनिक उत्सर्जन ने गंगा का प्रदूषण बढ़ाकर इसमें कोलिफार्म जीवाणु उपस्थिति द्वारा जल को संदूषित कर दिया है । जल में इन सबके विषैले प्रभाव के कारण जल में मछलियाँ मरने लगी हैं।


21. कैसे कहा जा सकता है कि वन ‘जैव विविधता के विशिष्ट (Hotspots) स्थल’ हैं ?

उत्तर ⇒  वन ‘जैव विविधता के विशिष्ट (hotspots) स्थल हैं । जैव विविधता का एक आधार उस क्षेत्र में पायी जानेवाली विभिन्न स्पीशीज़ की संख्या है। परंत जीवों के विभिन्न स्वरूप (जीवाणु, कवक, फर्न, पुष्पी पादप, सूत्रकृमि, कीट, पक्षी, सरीसृप इत्यादि) भी महत्त्वपूर्ण हैं । वंशागत जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास प्राकृतिक संरक्षण के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। विभिन्न प्रकार के अध्ययन से हमें पता चलता है कि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व के भी नष्ट होने की संभावना रहती है।


22. आप अपनी जीवन शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके ?

उत्तर ⇒  हम अपनी जीवन शैली में ऐसे अनेक परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके. हम ‘कम उपयोग’, ‘पुनः उपयोग’ तथा ‘पुनः चक्रण’ की नीति अपनाएँगे, जीवाश्म ईंधन-कोयला एवं पेट्रोलियम का निम्नतम उपयोग करेंगे, जल की अतिव्ययता को रोकेंगे, बिजली का कम उपयोग करके, वन-संपदा को बचाने हतु उठाये गये कदम में सहयोग करके, लिफ्ट का प्रयोग न कर सीढ़ियों का प्रयोग करेंगे, जल संरक्षण में सहयोग देंगे इत्यादि।


23. पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-कौन से परिवर्तन ला सकते हैं ?

उत्तर ⇒ 

(i) धुआँ रहित वाहनों का प्रयोग करके

(ii) पॉलीथीन का उपयोग न करक

(iii) जल संरक्षण को बढावा देकर

(iv) वनों की कटाई पर रोक लगाकर

(v) वृक्षारोपण करके

(vi) तेल से चालित वाहनों का कम-से-कम उपयोग करके।
उपरोक्त विभिन्न विधियों को अपनाकर हम पर्यावरण-संरक्षण में योगदान कर सकते हैं।


24. प्लास्टिक का पुनः चक्रण किस प्रकार होता है? क्या प्लास्टिक के पुनः चक्रण का पर्यावरण पर कोई समाघात होता है ?

उत्तर ⇒  प्लास्टिक के डिस्पोजेबुल कप एवं गिलास की जगह मिट्टी के कुल्हड़ या पेपर के डिस्पोजेबुल कप एवं गिलास का प्रयोग करना ज्यादा सही है। प्लास्टिक का पुनः चक्रण आसान नहीं है। इसे बार-बार उपयोग करना इसका जमाव पर्यावरण में अपेक्षाकृत कम हो जाता है। इससे पर्यावरण से प्लास्टिक समाप्त तो नहीं हो जाएगा, पर इसका जमाव कम हो सकता है।


25. जीवाश्म क्या है ? जैव विकास प्रक्रम के विषय में ये क्या बतलाता है ?

उत्तर ⇒  किसी जीव की मृत्यु के बाद उसके शरीर का अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्त हो जाता है। परंतु कभी-कभी जीव अथवा उसके कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं जिसके कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता । जीव के इस प्रकार के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं। जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास के प्रमाण मिलते हैं। आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx) एक ऐसा ही जीवाश्म है जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज (पक्षी) दोनों के गुण पाये जाते हैं। आर्कियोप्टेरिक्स में रेप्टीलिया की तरह जबड़ों में दाँत तथा अंगुलियों में नख थे। पक्षियों की तरह इसमें डैने (wings) तथा पर या पंख (feathers) थे । इसके अध्ययन से इस बात की पुष्टि होती है कि रेप्टीलिया तथा एवीज का विकास एक ही पूर्वज से हुआ है । इसी तरह यह (जीवाश्म) जैव प्रक्रम है एक धीरे-धीरे होनेवाला जीवों के विकास का ।

जीवाश्म क्या है ? जैव विकास प्रक्रम के विषय में ये क्या बतलाता है ?

26. जल संग्रहण की पारंपरिक व्यवस्था-खादिन पद्धति का रेखांकित चित्र बनाइये ।

उत्तर ⇒ 

चित्र : जल संग्रहण की पारंपरिक व्यवस्था-खादिन पद्धति का आदर्श व्यवस्थापन

चित्र : जल संग्रहण की पारंपरिक व्यवस्था-खादिन पद्धति का आदर्श व्यवस्थापन


27. बड़े बाँध के विरोध में मुख्यतः किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?

उत्तर ⇒  बड़े बाँध के विरोध में मुख्यतः तीन समस्याओं का सामना करना पड़ता है –

(i) सामाजिक समस्याएँ – इससे बड़ी संख्या में किसान और आदिवासी विस्थापित होते हैं, और इन्हें मुआवजा भी नहीं मिलता ।

(ii) आर्थिक समस्याएँ – इनमें जनता का बहुत अधिक धन लगता है और उस अनुपात में लाभ अपेक्षित नहीं है

(iii) पर्यावरणीय समस्याएँ – इससे बड़े स्तर पर वनों का विनाश होता है तथा जैव विविधता की क्षति होती है ।


28. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारे कचरे जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?

उत्तर ⇒  यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारे कचरे. जैव निम्नीकरण हो तो, अपशिष्ट पदार्थ जमा नहीं होंगे। सारे पदार्थ को पुनः पर्यावरण में वापस भेज देते हैं। इसके कारण हमारा पर्यावरण हमेशा स्वच्छ रहेगा।


29. हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?

उत्तर ⇒  हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण इसलिए करना चाहिए क्योंकि वन ‘जैव विविधता के विशिष्ट (Hotspots) स्थल’ हैं। जैव विविधता का एक आधार उस क्षेत्र में पाई जानेवाली विभिन्न स्पशीज की संख्या है। परंतु जीवों के विभिन्न स्वरूप (जीवाणु, कवक, फर्न, पुष्पी पादप, सूक्ष्मकृमि, कीट, पक्षी, सरीसृप इत्यादि) भी महत्त्वपूर्ण हैं। वंशागत जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास प्राकृतिक संरक्षण के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। प्रयोगों एवं वस्तु स्थिति के अध्ययन से हमें पता चलता है कि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है। विभिन्न व्यक्ति फल, नट्स तथा औषधि एकत्र करने के साथ-साथ अपने पशुओं को वन में चराते हैं अथवा उनका चारा वनों में एकत्र करते हैं।

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