रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण के प्रश्न उत्तर PDF

रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण के प्रश्न उत्तर PDF

1. लोहे की वस्तओं को हम क्यों पेंट करते हैं ? 

उत्तर ⇒ पेंट करने से लोहे के पदार्थ का ऊपरी भाग छुप जाता है। वह वायु के साथ सीधे संपर्क में नहीं आता है जिसके कारण उसमें जंग नहीं लगता। इसलिए पेट करने से हम लोहे के उस पदार्थ को जंग लगने से बचा सकते हैं।


2 . तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है ?

उत्तर ⇒ तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ को वायुरोधी बर्तनों में रखने से उपचयन की गति धीमी हो जाती है। तेल एवं वसायुक्त पदार्थ को नाइट्रोजन से भी इसीलिए युक्त किया जाता है ताकि उसमें उपचयन न हो सके।


3. कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे का एक टुकड़ा डाल देने पर विलयन का रंग क्यों बदल जाता है ?

उत्तर ⇒ जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है तो वह भूरे रंग का हो जाता है। लोहा कॉपर सल्फेट के घोल में से कॉपर को विस्थापित कर देता है।

Fe+CuSO 4 → FeSO 4 +Cu


4. उत्प्रेरक से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ वैसे पदार्थ जो स्वयं रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं लेकिन प्रतिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं या घटाते हैं, उसे उत्प्रेरक कहते हैं। जैसे-Fe उत्प्रेरक की उपस्थिति में बेंजीन के हाइड्रोजन परमाणु का क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापन- 

6 H6+Cl 2  → C6H 5Cl + HCl

बेंजीन + क्लोरीन → क्लोरोबेंजीन + हाइड्रोजन क्लोराइड


 5. वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ क्यों किया जाता है ?

उत्तर ⇒ यदि मैग्नीशियम रिबन नम वायु के संपर्क में रहता है तो उस पर सफेद रंग की मैग्नीशियम ऑक्साइड की पर्त जम जाती है, यह पर्त मैग्नीशियम के जलने में अवरोध पैदा करती है। इसलिए मैग्नीशियम रिबन को पहले रेगमार से साफ किया जाता है।


 6. प्रतिस्थापन अभिक्रिया क्या हैं ? उदाहरण दे ।

उत्तर ⇒ वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अधिक अभिक्रियाशील धातु अपने से कम अभिक्रियाशील धातु को यौगिक के विलयन या गलित अवस्था से विस्थापित कर देती है उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।

Fe+CuSO 4 → FeSO 4 +Cu

इस रासायनिक अभिक्रिया में Fe जो कि अधिक अभिक्रियाशील है Cu की अपेक्षा उसे विस्थापित कर उसके स्थान पर स्वयं को प्रतिस्थापित कर रहा है।


7. वियोजन अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ वियोजन अभिक्रिया-जब एक बड़ा यौगिक टूटकर दो या दो से अधिक यौगिकों में परिणत हो जाता है तो वैसी अभिक्रिया वियोजन अभिक्रिया कहलाती है।

2KCIO 3   2KCl+302


8. संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है ? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है ? .

उत्तर ⇒ संतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें अभिकारकों और उत्पादों में विभिन्न तत्त्वों के परमाणुओं की संख्या समान होती है। रासायनिक अभिक्रियाओं में द्रव्यमान के संरक्षण के नियम को संतुष्ट करने के लिए रासायनिक समीकरण संतुलित होनी चाहिए।


9. ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है ? 

उत्तर ⇒ ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया –  ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा निकलती हैं,  ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण — मीथेन दहन की अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

CH(g) + 2O2 (g) → CO2 (g) + 2H20 (g) + ऊर्जा (880.4 kJ mol-1)

 ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ –  ऐसी अभिक्रियाओं को जिनमें ऊष्मा अवशोषित होती है, ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहते हैं।
उदाहरण — बेरियम डाइऑक्साइड तथा अमोनियम थायासायनेट की अभिक्रिया ऊष्माशोषी है। .

Ba(OH)2.8H2O(s)+2NH4 SCN(s) → Ba(SCN)2 (aq)+2NH(aq) + 10H2O (l)


10. अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर समझाएँ।

उत्तर ⇒ जब दो विलयनों को मिलाया जाता है और उनकी अभिक्रिया से श्वेत रंग के एक पदार्थ का निर्माण होता है जो जल में अविलेय है, तो इस अविलेय पदार्थ के अवक्षेप कहते हैं । जिस अभिक्रिया में अवक्षेप का निर्माण होता है उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते हैं।

Na2SO 4 (aq) + BaCl 2 (aq) → BaSO4 (s) + 2NaCl (aq)

Ba 2+ तथा SO 42   अभिक्रिया से BaSOके अवक्षेप का निर्माण होता है।


11. श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं ? वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ हमें जीवित रहने के लिए ऊर्जा चाहिए । यह ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है, जिसे हम खाते हैं। पाचन के दौरान, भोजन सरल पदार्थों में टूट जाता है। उदाहरण के लिए चावल, आलू तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। ये कार्बोहाइड्रेट टूटकर ग्लूकोस बनाते हैं। यह ग्लूकोस हमारे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन से संयोग करते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है।

612(aq) + 602 (aq) ——-→ 6CO2 (ar) + 6H2O (1) + ऊर्जा

ग्लूकोज चूँकि श्वसन अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है, अतः श्वसन अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।


12. प्रकाश-अपघटन अभिक्रिया से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ अपघटन अभिक्रिया : अपघटन या वियोजन वह अभिक्रिया है, जिसमें किसी यौगिक के बड़े अणु के टूटने से दो या दो से अधिक पदार्थ बनते हैं, जिनके गुण मूल यौगिक के गुण से बिल्कुल भिन्न होते हैं।

प्रकाश-ऊर्जा द्वारा अपघटन :

2AgCl(s)  —सूर्य का प्रकाश  → 2Ag(s) + Cl 2 (g)


13. वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है ? 

उत्तर ⇒ वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या अधिक पदार्थ संयुक्त होकर केवल एक पदार्थ बनाते हैं, संयोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं तथा वे अभिक्रियाएँ जिनमें यौगिक दो अधिक सरल पदार्थों में टूटता है, वियोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। अतः वियोजन अभिक्रिया, संयोजन अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है।


14. रासायनिक अभिक्रिया से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ जब कोई रासायनिक परिवर्तन होता है तो हम कहते हैं कि रासायनिक अभिक्रिया हुई है। जैसे भोजन पकाना, अंगूर का किण्वन तथा साँस लेना आदि। ये सभी क्रियाएँ रासायनिक अभिक्रिया के कारण सम्पन्न होती हैं।


15. संतुलित और असंतुलित समीकरण में क्या अन्तर है ?

उत्तर ⇒ रासायनिक समीकरण में तीर के दोनों ओर उपस्थित तत्त्वों में परमाणुओं की संख्या समान होनी चाहिए। ऐसे समीकरणों को संतुलित समीकरण कहते हैं। ऐसे समीकरण जिसमें अभिकारक और प्रतिफल तीर के चिह्न के साथ दर्शाये गए हैं किंतु तीर चिह्न के दोनों ओर उपस्थित परमाणुओं की संख्या समान नहीं हो, असंतुलित समीकरण कहलाता है।


16. क्या श्वसन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है ? इसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ सभी वस्तुओं को जीवित रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचनक्रिया के समय खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। जैसे चावल, आलू, ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। इस कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है। अतः श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।


17. संक्षारण से क्या समझते हैं ? क्या आप दैनिक जीवन में इनके प्रभावों को देख सकते हैं ?

उत्तर ⇒ आप जानते हैं कि लोहे की बनी हुई नई वस्तुएँ चमकीली होती हैं। कुछ दिन बाद वायु में छोड़ दिए जाने पर इसकी सतह पर लालिमायुक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहा जाता है। यह अभिक्रिया अन्य धातुओं की परतों पर भी होती रहती है और उनका रंग बदलता है। जब कोई धात अपने आस-पास अम्ल, आर्द्रता आदि के सम्पर्क में आती है एवं संक्षारित हो जाती है तब इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। संक्षारण के कारण लोहे की बनी वस्तुएँ खराब हो जाती हैं।


18. बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवारों की सफेदी करने में क्यों किया जाता है ?

उत्तर ⇒ कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्सियम कार्बोनेट की एक पतली परत बना देता है। सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद कैल्सियम कार्बोनेट का निर्माण होता है और इससे दीवार पर चमक आ जाती है। यही कारण है कि बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवार पर सफेदी करने में किया जाता है।



1.अम्ल किसे कहते हैं ?

उत्तर⇒ अम्ल वह पदार्थ है जिसका स्वाद खट्टा होता है जो नीले लिटमस के घोल को लाल बनाता है, जलीय विलयन में (H+) आयन मुक्त करता है तथा धातु पर इसकी अभिक्रिया से हाइड्रोजन गैस मुक्त होते हैं।

जैसे—HCl, HNO3, H2SO4आदि।


2. क्षारक क्या है ?

उत्तर⇒ क्षारक वह पदार्थ है जिसका स्वाद कड़वा होता है; लाल लिटमस पत्र को नीला बनाता है। इसका जलीय विलयन (OH ) आयन मुक्त करता है तथा अम्ल से अभिक्रिया कर लवण बनाता है।

जैसे- NaOH, CuO, Ca0 तथा Ca(OH)2 आदि।

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3. लवण किसे कहते हैं ?

उत्तर⇒ वे पदार्थ लवण कहलाते हैं जो लिटमस पत्रों के प्रति उदासीन होते हैं। धातु और अम्ल के बीच अभिक्रिया के फलस्वरूप लवण बनते हैं।

Zn + 2HCl → ZnCl, + H2
2K + H,SO →H2SO4 + H2


4. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?

उत्तर⇒ शुष्क अम्ल (HCL) विद्युत का चालन नहीं करता है। शुष्क अवस्था में HCl, H+ आयन विमुक्त नहीं करता है। ज्योंहि अम्ल में जल की कुछ मात्रा मिला दी जाती है तो यह Hआयन विमुक्त करने लगता है। अम्ल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विद्युत धारा आसानी से बहने लगता है।H+ आयन के चलते जल से विद्युत धारा बहती है। जल विद्युत का चालन करने लगता है।


5. अम्लीय और भस्मीय मूलक क्या है? उदाहरण के साथ समझावें।

उत्तर⇒ लवण दो आयनों से मिलकर बनते हैं। उनमें से एक धनायन और दूसरा ऋणायन है। धनायन भस्म से प्राप्त होता है जबकि ऋणायन अम्ल से प्राप्त होता है। भस्म से प्राप्त आयन को भस्मीय मूलक और अम्ल से प्राप्त आयन को अम्लीय मूलक कहते हैं। जैसे सोडियम क्लोराइड के बनने में Na+ (भस्मीय मूलक) और Cl (अम्लीय मूलक) आपस में संयोग कर NaCl लवण बनाता है।



6. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3) का दो उपयोग लिखें।

उत्तर⇒ सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के दो उपयोग

(i) सोडा अम्ल अग्निशामक में किया जाता है।
(ii) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट ऐन्टैसिड का एक संघटक है। क्षारीय होने के कारण यह पेट में अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुंचाता है।


7. लिटमस विलयन के बारे में आप क्या जानते हैं ?

उत्तर⇒ लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलो फाइटा समूह के लाइकेन पौधे से निकाला जाता है। प्रायः इसे सूचक की तरह उपयोग किया जाता है। लिटमस विलयन उदासीन होता है और यह बैंगनी रंग का होता है। बहुत से प्राकृतिक पदार्थ जैसे- लाल पत्ता गोभी, हल्दी, हायड्रोजिया, पेट्रोनिया एवं जेरानियम जैसे कई फूलों की रंगीन पंखुड़ियों किसी विलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करता है। इसे अम्ल-क्षार सूचक अथवा सूचक कहा जाता है।


8. पीतल या ताँबे के बरतनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए ?

उत्तर⇒ ताँबे या पीतल के बरतन में दही नहीं रखना चाहिए। दही में अम्लीय गुण होता है, क्योंकि दही खट्टा होता है। ताँबे के साथ दही की अभिक्रिया (दही में लेक्टिक अम्ल है) के फलस्वरूप धातु के लवण बनते हैं और दही का स्वाद बदल जाता है।
दही + कॉपर → कॉपर लवण + हाइड्रोजन


9. केक या पावरोटी बनाने में बेकिंग पाउडर का उपयोग क्यों किया जाता है ?

उत्तर⇒ बेकिंग पाउडर बेकिंग सोडा और टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है। जब इसे जल में मिलाया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है।
NaHCO3 + H+ →  CO2 + अम्ल का सोडियम लवण
इस अभिक्रिया से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड के कारण पावरोटी या केक फूल जाता है तथा इससे यह मुलायम और स्पंजी हो जाता है।


10. ब्लीचींग पाउडर बनाने की विधि एवं उपयोगिता लिखें।

उत्तर⇒ शुष्क बुझा हुआ चूना पर क्लोरीन गैस की क्रिया से विरंजक चूर्ण बनता है।

Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O

इसके उपयोग –

(i) लांड्री में साफ कपड़ों के विरंजन के लिए।
(ii) पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए रोगाणुनाशक के रूप में।


11. धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर⇒

धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में अंतर (1)

12. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के कुछ उपयोगों को लिखिए।

उत्तर⇒ हाइड्रोजन क्लोराइड के निम्नांकित उपयोग हैं

(i) इस्पात की सफाई करने में
(ii) अमोनियम क्लोराइड बनाने में
(iii) औषधियों के निर्माण में एवं
(iv) सौंदर्य प्रसाधन में।


13. सोडियम हाइड्रॉक्साइड के कुछ उपयोगों को लिखिए।

उत्तर⇒ सोडियम हाइड्रॉक्साइड के निम्नांकित उपयोग हैं-

(i) धातुओं से ग्रीज हटाने में प्रयुक्त होता है,
(ii) साबुन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है,
(iii) अपमार्जक के निर्माण में,
(iv) कागज बनाने में तथा
(v) कृत्रिम फाइबर बनाने में उपयोगी है।


14. आयोडिनयुक्त नमक के उपयोग की क्यों सलाह दी जाती है?

उत्तर⇒ आजकल आयोडिनयुक्त नमक के उपयोग पर काफी जोर दिया जाता है। आयोडिन हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्त्व है। इसकी कमी से थॉयराइड से संबंधित रोग होते हैं। आयोडिन की कमी से आमतौर पर घेघा रोग होता है। साधारण नमक में थोड़ा पोटैशियम आयोडेट या पोटैशियम आयोडाइड मिला देने पर आयोडाइज्ड नमक बन जाता है। इसके सेवन से शरीर में आयोडिन की कमी नहीं हेती है।


15. कॉपर सल्फेट के शुष्क क्रिस्टल को गर्म करने पर उसपर होने वाले प्रभावों को लिखें।

उत्तर⇒ एक शुष्क परखनली में कॉपर सल्फेट के कुछ क्रिस्टल लेकर स्पिरीट लेम्प पर गर्म कीजिए। गर्म करने पर इसका नीला रंग समाप्त हो जाता है और यह श्वत हो जाता है। परखनली की दीवार पर जल की बूंदें दिखाई पड़ती हैं। क्रिस्टल में 5 अणु जल हाते हैं। जल के हटने पर क्रिस्टल रंगहीन (श्वेत) हो जाता है। अगर इस श्वत पदार्थ पर पुन: जल की बूंदें डाली जाएँ तो इसका रंग पुनः नीला हो जाता है। कॉपर सल्फट क्रिस्टल में जल के अणु वर्तमान रहते हैं। अंत: इसका रंग नीला
होता है।


16. अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं, क्यों? एक उदाहरण दें।

उत्तर⇒ अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनता है अर्थात दोनों एक-दूसरे को उदासीन कर देते हैं। इसलिए अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण- अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है

NaOH+ HCl → NaCl+H 2O


17.हमारे अमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?

उत्तर⇒ हमारे अमाशय में अम्ल की भूमिका –

(i) हमारे आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जठर ग्रन्थियों से स्रावित होता है और भोजन में अम्लीय माध्यम प्रस्तुत करता है जिससे जठर रस का पेप्सिन नामक एन्जाइम अम्लीय माध्यम में कार्य कर सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को अक्रियाशील एवं नष्ट करता है।
(iii) यह भोजन को शीघ्रता से नहीं पचने देता।


18. अस्पतालों में टूटी हुई अस्थियों को जोड़कर बैठाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले यौगिक का नामोल्लेख कीजिए। इसको कैसे निर्मित करते हैं?

उत्तर⇒ अस्पतालों में टूटी हुई हड्डियों को जोडने के लिए जिस यौगिक का प्रयोग किया जाता है उसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं। इसे रासायनिक दष्टि से कैल्सियम सल्फेट हेमी हाइड्रेट (CaSO4. 1/2 H2O) कहते हैं । इसे भट्ठी में जिप्सम को 373 K ताप पर गर्म करके बनाया जाता है ।

प्लास्टर ऑफ पेरिस


19. विरंजक चूर्ण के क्या-क्या महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं ?

उत्तर⇒ विरंजक चूर्ण के निम्न महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं-

(i) इसे सूती कपड़े, लिनन और लकड़ी के गुद्दे में उड़ाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
(ii) पीने योग्य पानी से हानिकारक जीवाणुओं के नाश के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म बनाने में प्रयुक्त होता है।
(iv) न सिकुड़ने वाली ऊन का इसकी सहायता से निर्माण किया जाता है ।
(v) प्रयोगशाला और उद्योगों में ऑक्सीकारक का कार्य करता है ।


20. अम्लों के सामान्य गुण बताएँ।

उत्तर⇒ अम्लों के सामान्य गुण-

(i) इनका स्वाद खट्टा होता है ।
(ii) ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
(iii) इनका घोल साबन के घोल की तरह चिकना नहीं होता।
(iv) ये धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
(v) ये कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
(vi) अम्ल, क्षारकों से क्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं ।


21. अम्लों की हमारे जीवन में हानियाँ लिखिए।

उत्तर⇒ अम्लों की हमारे जीवन में हानियाँ –

(i) ये सजीव कोशिकाओं को नष्ट करते हैं।
(ii) सांद्र अम्ल त्वचा और कोमल अंगों को गंभीर क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) कुछ खाद्य पदार्थों को खराब कर देते हैं।


22. क्षारकों के सामान्य गुण लिखें।

उत्तर⇒ क्षारकों के सामान्य गुण निम्न हैं-

(i) इनका स्वाद कड़वा होता है।
(ii) ये साबुन जैसे चिकने होते हैं तथा त्वचा को क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
(iv) ये हल्दी के रंग को भूरा लाल कर देते हैं।
(v) ये अम्लों के साथ क्रिया करके लवण तथा पानी बनाते हैं।
(vi) ये फिनालफ्थेलिन के घोल को गुलाबी कर देते हैं।


23. साधारण नमक (NaCl) की प्राप्ति कहाँ-कहाँ से होती है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर⇒ साधारण नमक निम्नलिखित सोतों से प्राप्त होता है-

(i) समुद्री-जल- समुद्री जल में साधारण नमक की बहुत बड़ी मात्रा घुली हुई है। समुद्री जल से नमक की प्राप्ति ‘लवण क्यारियों’ के माध्यम से होती है । सूर्य के ताप और वायु की सहायता से समुद्री जल का वाष्पीकरण होता है । इससे नमक की प्राप्ति होती है । इस नमक में MgCl2. MgSO4, जैसी अनेक अशुद्धियाँ मिली होता है। इन अशुद्धियों को दूर कर शद्ध नमक प्राप्त कर लिया जाता है। .

(ii) खनिज नमक- संसार के अनेक भागों में ठोस लवण का निक्षेप होता है। यह खनिज लवण तब बना था जब युगों पहले समुद्र का कोई हिस्सा सूख गया था। इस नमक का खनन उसी प्रकार होता है जैसे कोयले का किया जाता है। मंडी (हिमाचल प्रदेश), खेवड़ा (पाकिस्तान) आदि में ऐसा नमक उपलब्ध है। अशुद्धियों के कारण यह नमक प्रायः भूरे रंग का होता है। कभी-कभी भूमि तल की गहराई से जल में घोलकर पंपों की सहायता से बाहर निकाला जाता है।

(iii) झीलों से- राजस्थान की सांभर झील, अमेरिका की ग्रेट साल्ट लेक, रूस की लेक एल्टन आदि से भी नमक प्राप्त किया जाता है। इसे जल के वाष्पीकरण से प्राप्त किया जाता है।


24. धोने का सोडा तथा बेकिंग सोडे के दो-दो प्रमख उपयोग बताइए।

उत्तर⇒ धोवन सोडे के उपयोग-

(i) जल की स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए
(ii) काँच, साबुन, पेपर तथा बोरॉक्स, कॉस्टिक सोडा इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण यौगिकों के उत्पादन के लिए

बेकिंग सोडे के उपयोग-

(i) एन्टैसिड का एक संघटक क्षारीय होने के कारण अम्ल के आधिक्य को उदासीन करता है।
(ii) यह खाद्य एवं पेय पदार्थों के योज्य पदार्थ के रूप में प्रयुक्त होता है। बेकिंग चूर्ण में सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट एवं टार्टरिक अम्ल या इस जैसा एक अम्ल होता है। जब बेकिंग चूर्ण को गर्म करते हैं तो इसमें विद्यमान सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट विखंडित होकर, कार्बन डाइऑक्साइड एवं सोडियम कार्बोनेट प्रदान करता है। कार्बन डाइऑक्साइड बाध्य
करके ब्रेड एवं केक फूल जाते हैं।


25. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग क्या है ?

उत्तर⇒ प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग –

(i) इसे साँचे, खिलौने, सिरेमिक बर्तन आदि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है ।
(ii) सजावटी सामान, मूर्तियाँ आदि इससे बनाए जाते हैं।
(iii)अस्पतालों में अस्थि विभाग और दंत विभाग के द्वारा इसका पयाप्त किया जाता है। यह टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्रयुक्त किया जाता है और टूटे हुए दाँतों के स्थान पर नकली दाँत लगाने के सांचेबनाए जाते हैं।
(iv) भवनों की दीवारों और छतों को समतल करने और उन पर डिजयान के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
(v) अग्निशमन संबंधी सामग्री इससे तैयार की जाती है।
(vi) प्रयोगशालाओं में गैसों का रिसाव इससे रोका जाता है।


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