उत्सर्जन क्या है ? उत्सर्जन में भाग लेने वाले वृक्क से संबंधित अन्य रचनाओं को सूचीबद्ध करें।

1. उत्सर्जन क्या है ? उत्सर्जन में भाग लेने वाले वृक्क से संबंधित अन्य रचनाओं को सूचीबद्ध करें।

उत्तर ⇒ शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलना उत्सर्जन कहलाता है। मनुष्य में उत्सर्जन से संबंधित महत्त्वपूर्ण रचनाएँ निम्नांकित हैं –
(i) वृक्क

(ii) मूत्रवाहिनी

(iii) मूत्राशय 

(iv) मूत्रमार्ग


2. परपोषण किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर ⇒ जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करते हैं अपितु किसी-न-किसी रूप में अन्य स्रोतों से प्राप्त करते हैं। परपोषण निम्नांकित चार प्रकार
के होते हैं –

(i) प्राणिसम पोषण

(ii)मृतजीवी पोषण

(iii) परजीवी पोषण

(iv) परासरणी पोषण।


3. पोषण क्या है ? इनके विभिन्न चरण कौन-कौन से हैं ?

उत्तर ⇒ पोषण एक जटिल प्रक्रम है जिसके अंतर्गत कोई जीवधारी भोजन ग्रहण करता है, जिसके द्वारा शरीर-रचना, टूट-फूट की मरम्मत एवं अन्य सभी जैविक क्रियाओं का संचालन एवं नियमन होता है ।
मुख, आहार नली, आमाशय, क्षुद्रांत्र आंत की भित्ति। बिना पचा भोजन वृहदांत्र में भेज दिया जाता है।


4. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं ?

उत्तर ⇒ स्वपोषी पोषण हरे पौधों में पाया जाता है जो कि अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं । स्वपोषी पोषण के लिए प्रकाशसंश्लेषण आवश्यक है। हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरोफिल नामक वर्णक से CO, और जल द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस क्रिया में ऑक्सीजन गैस बाहर निकलती है।

जैव प्रक्रम

सूर्य का प्रकाश, क्लोरोफिल, कार्बन डाइऑक्साइड और जल स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ हैं। इसके उपोत्पाद आणविक ऑक्सीजन है।


5. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ?

उत्तर ⇒ जलीय जीव जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। क्योंकि जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है, इसलिए जलीय जीवों की श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है। स्थलीय जीव श्वसन के लिए वायुमंडल के ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव इस प्रकार लाभप्रद है।


6. श्वसन क्या है ?

उत्तर ⇒ शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है। इसे निम्न समीकरण द्वारा समझा जा सकता है –

C6H120 + 602 → 6CO2 + 6H2O + 673 k cal.


7. स्वपोषण की आवश्यक शर्ते क्या है? इसके उपोत्पाद क्या हैं ?

उत्तर ⇒ स्वपोषण के लिए निम्न शर्तों को पूरा करना आवश्यक है –
(A) पर्णहरित या क्लोरोफिल की उपस्थिति
(B) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)की उपस्थिति
(C) जल (H2O) की उपस्थिति

पर्णहरित या क्लोरोफिल सूर्य से विकिरण ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। जिसके द्वारा CO2 एवं H2O का स्थिरीकरण कर अपने भोजन कार्बोहाइट्रेट का निर्माण करते हैं। उपोत्पाद के रूप में ग्लूकोज एवं ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं। ग्लूकोज अंततः स्टार्च में बदल जाता है।


8. परिसंचरण तंत्र से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ उच्च श्रेणी के जंतुओं में एक विशेष प्रकार का परिवहन तंत्र होता है जो ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्वों, हार्मोन, उत्सर्जी पदार्थों या अन्य उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न विभिन्न पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में ले जाता है, जिसे परिसंचरण तंत्र कहते हैं। इस तंत्र के तीन प्रमुख अवयव हैं –

(i) रक्त या रुधिर

(ii) हृदय

(iii) रक्त वाहिनियाँ


9. उत्सर्जन क्या है? मानव में इसके दो प्रमुख अंगों के नाम लिखें।

उत्तर ⇒ जीवों के शरीर से उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निष्कासन की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। मानव में इसके दो प्रमुख अंग के नाम निम्नलिखित हैं —
(i) वृक्क (Kidney) – जो रक्त में द्रव्य के रूप में अपशिष्ट पदार्थों (liquid waste product) को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।
(ii) फेफड़ा (Lungs)  जो रक्त में गैसीय अपशिष्ट पदार्थों (gaseous waste product) को शरीर से बाहर निकालता है।


10. वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒ वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए निम्नलिखित महत्त्व हैं –

(i) यह पौधों के मूलरोम द्वारा खनिज लवणों के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तक उनके परिवहन में सहायक होता है।
(ii) यह पौधों में तापक्रम संतुलन बनाये रखता है।
(iii) वाष्पोत्सर्जन के कारण ही पौधों की जड़ों से चोटी तक जल की निश्चित धारा बनी रहती है।
(iv) दिन में रंध्रों के खुले रहने पर वाष्पोत्सर्जन कर्षण; ही जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल का कार्य करता है।


11. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है ?

उत्तर ⇒ जल की मात्रा पुनरावशोषण, शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वय॑ उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है। अगर अधिक मात्रा में जल या अन्य द्रव्य का सेवन किया जाये तो रक्त का दाब बढ़ जाता है व अधिक मात्रा में मूत्र बनती है। मूत्र की मात्रा भोजन में लिये गए खनिज लवण व दूसरे ठोस आहार पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए अगर खाने में नमक की मात्रा अधिक है तो वृक्क से उचित मात्रा में लवण मूत्र के साथ ही बनता है जिससे रक्त में विसरण दाब सही रहता है। मूत्राशय पेशीय होता है। अत: यह तंत्रिका नियंत्रण में है और हम इसी कारणवश मूत्र निकासी को नियंत्रित कर लेते हैं।


12. वाष्पोत्सर्जन को परिभाषित करें।

उत्तर ⇒ द्रव का कमरे के ताप या द्रव के क्वथनांक के नीचे के तापों पर वाष्प बनकर धीरे-धीरे वायुमंडल में जाने की प्रक्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।


13. क्या शाकाहारी एवं मांसाहारी जंतुओं में छोटी आंत की लंबाई में भिन्नता होती है? यदि हाँ तो क्यों ?

उत्तर ⇒ छोटी आंत की लंबाई भोजन के प्रकार पर निर्भर करती है। शाकाहारी जंतओं में छोटी आंत की लंबाई अधिक होती है जिससे कि सेल्यूलोज का पाचन सही ढंग से हो सके। इसके विपरीत मांसाहारी जंतुओं में छोटी आंत की लंबाई छोटी होतो है, क्योंकि मांसाहारी भोजन का पाचन अपेक्षाकृत सरल होता है।


14. मनुष्य में दंतक्षरण का क्या कारण है ?

उत्तर ⇒ दंतक्षरण या दंतक्षय इनैमल तथा डेंटीन के शनैः-शनैः मृदुकरण के कारण होता है। अनेक जीवाणु कोशिका खाद्य कणों के साथ मिलकर दाँतों पर चिपककर दंत प्लाक बना देते हैं। प्लाक दाँत को ढक लेता है। इसलिए लार अम्ल को उदासीन करने के लिए दंत सतह तक नहीं पहुँच पाती है। यही दंतक्षरण का कारण है।


15. दंत प्लाक एवं दंत अस्थिक्षय से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ यदि मीठी चीजें खाने के उपरान्त हम अपनी दाँतों की सफाई ठीक से नहीं करते हैं तब ये हमारे दाँतों पर बैठ जाती है एवं दंत प्लाक बनाते हैं। शक्कर पर बैक्टीरिया रासायनिक क्रिया कर अम्ल बनाते हैं । यह अम्ल दाँत के इनामेल से रासायनिक प्रतिक्रिया कर उसे नरम बना देता है तथा उस स्थान पर धीरे-धीरे एक छिद्र बन जाता है जिसे दंत अस्थिक्षय कहते हैं।


16. विषमपोषी पोषण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ विषमपोषी पोषण वह प्रक्रिया है, जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित न कर किसी अन्य स्रोतों पर निर्भर करते हैं। जैसे—सभी जन्तु, अहरित पौधे (कवक)। इसके तीन प्रकार हैं—

(i) मृतजीवी पोषण

(ii) परजीवी पोषण

(iii) प्राणिसम पोषण।


17. सजीव के मुख्य चार लक्षण लिखें।

उत्तर ⇒ सजीवों के मुख्य चार लक्षण निम्नलिखित हैं –

(i) पोषण

(ii) श्वसन

(iii) प्रजनन

(iv) वृद्धि एवं विकास।


18. जीवों में पोषण की अनिवार्यता की सार्थकता साबित करें ।

उत्तर ⇒ जैविक प्रक्रमों के संचालन, वृद्धि, अनुरक्षण आदि कार्यों के निष्पादन हतु जावा का मूलभूत आवश्यकता ऊर्जा है । ऊर्जा की प्राप्ति हेतु खाद्य पदाथा का जरूरत होती है । अत: जीवों में पोषण अनिवार्य है।


19. हमारे आमाशय में अम्ल की भमिका क्या है ?

उत्तर ⇒ हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका निम्नलिखित हैं

(i) यह जीवाणुनाशक की तरह कार्य कर भोजन के साथ आनेवाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है

(ii) भोजन इसके कारण शीघ्रता से नहीं पचता है।


20. कोशिका के चार कोशिकांग का नाम लिखें।

उत्तर ⇒ कोशिका के चार कोशिकांग का नाम निम्नलिखित है –

(i) माइटोकॉण्ड्रिया

(ii) लाइसोसोम

(iii) गॉल्जी उपकरण

(iv) अंतः प्रद्रव्या जालिका।


jaiv prakram ka question answer

21. मनुष्य में कितने प्रकार के दाँत पाये जाते हैं ? उनके नाम तथा कार्य लिखें।

उत्तर ⇒ मनुष्य में दाँत चार प्रकार के होते हैं-कतर्नक या इन्साइजर, भेदक या कैनाइन, अग्रचवर्णक या प्रीमोलर तथा चवर्णक या मोलर। कतर्नक को काटने वाला दाँत कहते हैं, भेदक-चिरने या फाड़ने वाला दाँत होता है। अग्रचवर्णक एवं चवर्णक को चबाने एवं पीसने वाला दाँत कहा जाता है।


22. उत्सर्जी पदार्थों के निष्कासन हेतु पौधों द्वारा उपयुक्त विधियों का नाम लिखें।

उत्तर ⇒ पौधों में उत्सर्जन के लिए जंतुओं की तुलना में कोई विशिष्ट अंग का प्रयोजन नहीं हैं। पौधे भिन्न-भिन्न तरीके से उत्सर्जी पदार्थों को निष्कासित करते हैं. पत्तियों के रंध्रों एवं तनों के वातरंध्रों द्वारा विसरण की प्रक्रिया से CO,को निष्कासित करते हैं। आवश्यकता से अधिक जल वाष्पोत्सर्जन द्वारा उत्सर्जित होता है। कुछ उत्सर्जी पदार्थ पत्तियों एवं छालों में संचित रहते हैं, जो निश्चित समयांतराल पर निष्कासित होते हैं।


23. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?

उत्तर ⇒ हमारे शरीर में वसा का पाचन आहारनाल की क्षुद्रांत्र में होता है। यकृत से निकलनेवाला क्षारीय पित्तरस, आए हुए भोजन के साथ मिलकर, उसकी अम्लीयता को निष्क्रिय करके उसे क्षारीय बना देता है, जिसकी इसी प्रकृति पर अग्न्याशयिक रस सक्रियता से कार्य करता है। पित्तरस वसा को सूक्ष्म कणों में तोड़ देता है। इस क्रिया को इमल्सीकरण क्रिया कहते हैं । लाइपेज एंजाइम, जो कि अग्न्याशयिक रस में पाया जाता है, इमल्सीफाइड वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता।


24. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?

उत्तर ⇒ किसी भी जीव में शारीरिक वृद्धि के लिए उसे बाहर से अतिरिक्त कच्ची सामग्री की भी आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर जीवन कार्बन आधारित अणुओं पर निर्भर है, अतः अधिकांशतः, खाद्य पदार्थ भी कार्बन आधारित हैं। इन कार्बन स्रोतों की जटिलता के अनुसार विभिन्न जीव भिन्न प्रकार के पोषण प्रक्रम को प्रयुक्त करते हैं।


25. किण्वन क्रिया क्या है? इथेनॉल की प्राप्ति में किण्वन का अनुप्रयोग किस प्रकार होता है ?

उत्तर ⇒ गन्ने के रस को सूर्य के प्रकाश में रख देने पर यह रासायनिक ऊज का उपयोग कर किण्वित हो जाता है जिससे ऐल्कोहॉल का निर्माण होता है व्यापारिक विधि में एथेनॉल को चीनी के किण्वन द्वारा प्राप्त किया जाता है।

जैव प्रक्रम

26. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?

उत्तर ⇒ पचे हुए भोजन का अवशोषण ज्यादा हो सके तथा सतही क्षेत्रफल अधिक हो इसके लिए क्षुद्रांत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक अंगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं । दीर्घरोम में रुधिरवाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाती हैं। इन । कोशिकाओं में भोजन का प्रयोग ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है तथा नये ऊतकों के निर्माण तथा टूटे हुए ऊतकों की मरम्मत हेतु होता है ।


27. प्रकाश संश्लेषण क्या है? इसे रासायनिक समीकरण में व्यक्त करें।

उत्तर ⇒ हरे पौधों द्वारा सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त कर क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा जल (H2O) के द्वारा अपने भोजन काबोहाइड्रेट (कार्बनिक पदार्थ) का संश्लेषण करना ही प्रकाशसंश्लेषण (Photosyn thesis) की प्रक्रिया कहलाता है।

इसका रासायनिक समीकरण है –

जैव प्रक्रम

28. रक्त की संरचना को समझाएँ।

उत्तर ⇒ रक्त लाल रंग का गाढ़ा, क्षारीय तरल पदार्थ है, जो मुख्य रूप से कोशिका एवं प्लाज्मा से बना है। रक्त कोशिका तीन प्रकार की होती है—लाल रक्त कोशिका, श्वेत रक्त कोशिका एवं पट्टिकाणु।

प्लाज्मा (50-55%) में 90-92% जल, 6-8% प्लाज्मा प्रोटीन एवं 1-2%अकार्बनिक लवण पाये जाते है। इसमें ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, वसा आदि पाये जाते हैं।


jaiv prakram class 10 question answer

29. रक्त पट्टिकाणु की क्या उपयोगिता है ?

उत्तर ⇒ रक्त पट्टिकाणु सबसे छोटे आकार की रक्त कोशिकाएँ हैं, इसे विषाणु या थ्रोम्बोसाइटस भी कहते हैं। ये अस्थिमज्जा के मैगाकैरिओसाइट्स द्वारा निर्मित होते हैं। ये रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है।


30. मृतजीवी पोषण क्या है ?

उत्तर ⇒ जीव मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन, अपने शरीर की सतह से, घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं। यही मृतजीवी – पोषण है। मृतजीवी अपना भोजन मुख्यतः तरल अवस्था में अवशोषण द्वारा ग्रहण करते हैं। जंतुओं और पौधों की मृत्यु के पश्चात् उनके मृत शरीर को मृतजीवी अपघटित कर, अर्थात् सड़ा-गलाकर उनके मूल तत्त्वों में बदल देते हैं। ऐसे मूल तत्त्व पुनः मिट्टी में प्रतिस्थापित हो जाते हैं और उत्पन्न गैस वातावरण में मिल जाते हैं। इन तत्त्वों को फिर से हरे पौधे मिट्टी से ग्रहण कर अपने उपयोग में लाते हैं। यही चक्र पृथ्वी में निरंतर चलता रहता है।


31. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ?

उत्तर ⇒ जीवन के अनुरक्षण के लिए हम निम्नलिखित प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे –

(i) पोषण

(ii) श्वसन

(iii) परिवहन एवं

(iv) उत्सर्जन इत्यादि ।

पर इन जैव प्रक्रमों के अतिरिक्त सभी जीवधारी जनन (reproduction) द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं । ये क्रियाएँ जीवन के लिए अति आवश्यक हैं।


32. प्रछली, मच्छर, केंचुआ और मनुष्य के मुख्य श्वसन अंगों के नाम लिखें।

उत्तर ⇒ मछली में मुख्य श्वसन अंग क्लोम (Gill) होता है। मच्छर में मुख्य श्वसन अंग श्वासनली या ट्रैकिया है, केंचुआ में मुख्य श्वसन अंग त्वचा है, जबकि मनुष्य में फेफड़ा है।


33. प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधे कहाँ से प्राप्त करते हैं ?

उत्तर ⇒ प्रकाशसंश्लेषण के लिए पौधे कच्ची सामग्री निम्नांकित जगहों से प्राप्त करते हैं –

(i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) – इसे बायुमंडल से प्राप्त किया जाता है।
(iii) जल – भूमि से पौधे जड़ों द्वारा प्राप्त करते हैं।
(iii) पर्णहरित – यह पौधों के कोशिकाओं में स्थित हरित लवक होते हैं।
(iv) सूर्य का प्रकाश – सूर्य के प्रकाश से पौधे, फोटोन ऊर्जा कणों के रूप में प्राप्त करते हैं जो क्लोरोफिल में संचित होकर आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाये जाते हैं।


34. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद होते हैं ?

उत्तर ⇒ जल में ऑक्सीजन काफी कम घुलित होते हैं, जबकि अधिक जैव ऊर्जा के उत्पादन के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जलीय जीव – (मछलियाँ) सर्वप्रथम मुख के द्वारा घुलित ऑक्सीजन को लेती हैं तथा विमाण के द्वारा क्लोम की कोशिकाओं में अवशेषित कर लेती हैं। जबकि स्थलीय जीव फेफड़ा
के द्वारा आसानी से ऑक्सीजन ले पाते हैं।


35. पौधों में गैसों का आदान-प्रदान कैसे होता है ?

उत्तर ⇒ पौधों में गैसों का आदान-प्रदान विसरण की क्रिया के द्वारा पौधों की पत्तियों पर स्थित रंध्रों (stomata) पुराने वृक्षों के तनों की कड़ी त्वचा (bark) पर स्थित वातरंध्रों (lenticels) एवं अंतरकोशिकीय स्थानों (intercellular spaces) के द्वारा होती है। इस क्रिया में पौधो की आवश्यकताओं एवं पर्यावरणीय अवस्था का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।


36. आमाशय में पाचक रस की क्या भूमिका है ?

उत्तर ⇒ पाचक रस (आमाशय) में HCL पाया जाता है जो निष्क्रिय पेप्सिनोजेन को सक्रिय पेप्सिन नामक एंजाइम में बदल देता है। पेप्सिन भोजन के प्रीटीन पर कार्य कर उसे पैप्टोन (Peptone) में बदल देता है। HCL भोजन के साथ आनेवाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। इसके अतिरिक्त गैस्टिक लाइपेज एंजाइम भी पाचक रस में होता है, जो वसा के आंशिक पाचने में मदद करता है।


37 ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन से’आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ अभिवाही एवं अपवाही धमनिका के संयोग को ग्लोमेरुलर कहते हैं । अपवाही धमनिका का व्यास कम होने के कारण ग्लोमेरुलस के अन्दर रक्त पर दबाव अधिक बढ़ जाता है तथा इस उच्च दबाव पर रक्त के छनने की प्रक्रिया होती है, जिसे ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन या अल्ट्राफिल्ट्रेशन कहते हैं। इसके कारण प्रतिदिन 150-180 लीटर रक्त का वृक्कीय निस्पंद होता है, जिनमें 168.5 लीटर जल अवशोषित कर लिया जाता है एवं 1.5 से 1.8 लीटर मूत्र बनता है ।


38. विभिन्न प्रकार के प्राणिसमभोजी सजीवों का उल्लेख करें ।

उत्तर ⇒ प्राणिसमभोजी सजीव अपना भोजन ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि द्वारा ग्रहण करते हैं । ऐसे प्राणियों का भोजन संपूर्ण पादप या अन्य प्राणि अथवा उनके कुछ भाग होते हैं । भोजन के स्रोतों के आधार पर प्राणिसमभोजी निम्न प्रकार के होते हैं— शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी, स्वजातिभक्षक, अपशिष्टभोजी, परभक्षी, कीटभक्षी, अपघटक, मत्स्यभक्षी, धान्यपोषी ।


39. पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग क्यों कहा जाता है ?

उत्तर ⇒ पत्तियों में अंदर हरे वर्णक पर्णहरित या क्लोरोफिल की उपस्थिति होती है और प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रम केवल क्लोरोफिल की उपस्थिति में संभव होता है । इसलिए पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग कहा जाता है ।


40. पित्त क्या है? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒ पित्त यकृत ग्रंथि से स्रावित होने वाला (श्राव) द्रव्य है जो छोटी आँत में भोजन के पाचन में मदद करता है। मनुष्य के पाचन क्रिया में इसका निम्नलिखित महत्त्व है।
(i) पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उस पर क्रिया कर सके।
(ii) पित्त भोजन में वसा के बड़े कण को सूक्ष्म कण में तोड़ने में (emulsification) मदद करता है, ताकि लाइपेज एंजाइम उस पर क्रिया कर वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर सके। इस प्रकार वसा के पाचन में पित्त का महत्त्व है।


41. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?

उत्तर ⇒ हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में पायी जाती है, यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन का निर्माण करती है। यह कोशिका में ऑक्सीजन को विसरित कर देती है, जिससे कोशिकीय श्वसन हो सके। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से एनिमिया नामक बीमारी हो जाती है। लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। कोशिका को पूरी तरह ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिसके कारण कोशिकीय श्वसन बाधित हो जाता है।


42. लसीका की क्या उपयोगिता है ? प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒ लसीका श्वेत संवहनी संयोजी ऊतक है। रक्त प्लाज्मा की कुछ मात्रा कोशिकाओं से विसरित होकर ऊतकों में स्थित कोशिकाओं के बीच के रिक्त स्थानों में प्रविष्ट हो जाती है। ये विसरित प्लाज्मा को ऊतक द्रव या लसीका कहते हैं। लसीका के द्वारा कोशिकाओं में ऑक्सीजन सरलतम भोज्य पदार्थों तथा हार्मोन का विसरण होता है। इसके द्वारा CO2 जल तथा अपशिष्टों का भी विसरण होता है।


43. पौधों में मूलरोमों की कोशिकाओं में जल के पहँचने की विधि का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ मृदा से जल का अवशोषण जलीय पौधों में मूलरोमों के द्वारा होता है। मृदा से जल मूलतः विसरण की प्रक्रिया से मलरोम की कोशिकाओं में प्रवश कर जाता है। चूंकि मूलरोम की कोशिकाओं में कोशिका द्रव का परासरण दाब भूमि जल के दाब से अधिक होता है। अतः सांद्रता प्रवणता के अनुसार भूमि से मूलरामा का कोशिकाओं की ओर जल का बहाव होता है।


44. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?

उत्तर ⇒ हमारे मानव शरीर में दो फेफड़े होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा लाखों सूक्ष्म कपिकाओं में विभाजित होता है। वायु की अनुपस्थिति में कूपिका बहुत कम स्थान घेरती है जबकि वायु की उपस्थिति में कूपिका बहुत स्थान घेरती है। इनके कारण श्वसन क्रिया में बहुत सहायता मिलती है।


jaiv prakram important question

45. पाचन किसे कहते हैं ? मनुष्य के आहारनाल के विभिन्न भागों का नाम बताएँ।

उत्तर ⇒ वह क्रिया जिसमें एंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल अणुओं में अपघटित किया जाता है, जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सके, पाचन कहलाती है।
मनुष्य के आहारनाल में निम्नलिखित भाग होते हैं।मुखगुहा, ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँत, मलाशय एवं मलद्वार।


46. उच्च संगठित पादप में वहनतंत्र के घटक क्या हैं ?

उत्तर ⇒ उच्च संगठित पादप में वहनतंत्र के घटक हैं –

(i) एक जाइलम है, जो मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों को वहन करता है। दूसरा फ्लोएम, पत्तियों से जहाँ प्रकाशसंश्लेषण के उत्पाद संश्लेषित होते हैं, पौधे के अन्य भागों तक वहन करता है।


47. क्या होगा अगर मानव शरीर से दोनों वृक्क को हटा दिया जाय ?

उत्तर ⇒ मनुष्य जीवित नहीं रह सकता है क्योंकि अपशिष्ट पदार्थ रक्त में जमा होना शुरू हो जाएँगे, तथा रक्त विषाक्त हो जाएगा ।


48. कठोर परिश्रम या अभ्यास करते समय साँस लेने की क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ?

उत्तर ⇒ कठोर परिश्रम या अभ्यास करते समय हमारे मांसपेशियों में संकुचन और फैलाव बढ़ जाता है इसलिए साँस लेने में कठिनाई होने लगती है।


49. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?

उत्तर ⇒ बड़े आकार वाले हमारे जैसे बहकोशिकीय जीव में सभी कोशिकाएँ अपने आस-पास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रह सकती। अतः साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता।


50. मनुष्य के आमाशय में जो HCL अम्ल स्त्रावित होता है, वह कैसे कार्य करता है ?

उत्तर ⇒ गैस्ट्रिक HCL अम्लीय माध्यम प्रदान करता है जो गैस्ट्रिक खमीर पेप्सीन को सक्रिय करता है। यह सक्रिय होकर भोजन में पाए जाने वाले विभिन्न कीटाणओं को मारता है।


57. एक सामूहिक भोज में खाने के पश्चात् 30 लोग बीमार हो गये। उन्हें कै-दस्त तथा बुखार हो गया। आप बतायें कि उन्हें कौन-सी बीमारी हुई? इसमें किस जीवाणु का योगदान है? आप उन्हें किस तरह प्राथमिक उपचार सुझायेंगे ?

उत्तर ⇒ जैसा कि लक्षण से स्पष्ट हो रहा है कि उन बीमार व्यक्तियों को भोजन विषाक्तन की शिकायत थी । यह बीमारी एक खास जीवाणु बैक्टेरियम बौटोलिज्म की वजह से होता है । रोगी को प्राथमिक उपचार के तौर पर नमक-चीनी और पानी का घोल समय-समय पर देंगे ताकि निर्जलीकरन नहीं हो पाए ।


52. कीटों में ऑक्सीजन सीधे ऊतकों को क्यों पहुँचाया जाता है ? इस विधि में प्रयुक्त रचनाओं का वर्णन कार्यविधि के साथ करें।

उत्तर ⇒ कीटों में श्वसन ट्रैकिया के द्वारा होता है। ट्रैकिया शरीर के भीतर स्थित अत्यंत शाखित हवा-भरी नलिकाएँ हैं जो एक ओर सीधे ऊतकों के संपर्क में होती है तथा दूसरी ओर शरीर की सतह पर श्वासरंध्र नामक छिद्रों के द्वारा खुलती है। कीटों में ट्रैकिया के द्वारा श्वसन में गैसों का आदान-प्रदान रक्त के माध्यम से नहीं होता है । इसका कारण यह है कि कीटों के रक्त में हीमोग्लोबिन या उसके जैसे कोई रंजक जिसमें ऑक्सीजन को बाँधने की क्षमता हो, नहीं पाए जाते है ।


53. वाष्पोत्सर्जन एवं स्थानांतरण में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ पौधों के वायवीय भागों (स्टोमाटा, क्यूटिकल एवं लेंटीसेल्स) द्वारा वाष्प के रूप में जल के निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। यह एक शारीरिक क्रिया है, एवं अलग-अलग पादपों में इस क्रिया से निष्कासित जल की मात्रा में भिन्नता होती है। है लेकिन स्थानांतरण में पौधों में जल, खनिज लवण एवं खाद्य-पदार्थों का बहुत ऊँचाई तक संचलन होता है। इस स्थानांतरण की क्रिया में वाष्पोत्सर्जन की भूमिका होती है। यह फ्लोएम की चालनी नलिकाओं द्वारा होता है।


54. पौधों में स्टोमाटा कहाँ पाए जाते हैं? इनसे CO,पत्ती कोशिकाओं में कैसे पहुँचता है ?

उत्तर ⇒ पत्तियों की बाह्य त्वचा या एपिडर्मिस के पृष्ठ पर स्टोमाटा पाई जाती है। ये स्टोमाटा दो द्वार-कोशिकाओं द्वारा घिरी होती है। स्टोमाटा का खुलना व बंद होना द्वार-कोशिकाओं की स्थिति पर निर्भर करता है। जब द्वार कोशिकाएँ जल अवशोषित कर फूल जाती हैं, तो स्टोमाटा खुल जाते हैं, और वायुमंडल से Co. विसरण द्वारा पत्ती-कोशिकाएँ में पहुँच जाता है। इसके विपरीत जब द्वार कोशिकाओं का जल बाहर निकल जाता है, तब ये सिकुड़ जाती है और रंध्र बंद हो जाते हैं।


55. किण्वन किस प्रकार का श्वसन है ? यह कहाँ होता है ?

उत्तर ⇒ किण्वन एक प्रकार का अवायवीय श्वसन है, जिसमें यीस्ट द्वारा, पायरुवेट को एथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह अभिक्रिया यीस्ट कोशिकाओं के बाहर स्रावित जाइमेज एंजाइम द्वारा शर्करा के अपघटन के फलस्वरूप संपन्न होता है।


56. नासिका वेश्म किस प्रकार हवा के साथ अंदर प्रवेश करनेवाले धूलकणों के साथ रोगाणुओं की रोकथाम करता है ?

उत्तर ⇒ नासिका वेश्मों में महीन म्यूकस मेम्ब्रेन का स्तर होता है, जो म्यूकस नावित करता है। विभिन्न रोगाणु या अन्य हानिकारक पदार्थ लसलसे म्यकस में फंसकर प्रकोष्ठ के बालों में चिपक जाते हैं और ये अंदर की ओर प्रवेश नहीं कर पाते हैं।


57. हृदय में कपाटों की क्या आवश्यकता है ?

उत्तर ⇒ मनुष्य तथा मैमेलिया वर्ग के अन्य जंतुओं के हृदय में चार वेश्म दो बायाँ एवं दायाँ अलिंद तथा दो बायाँ एवं दायाँ निलय होते हैं। दायाँ अलिंद, दाएँ निलय में तथा बायाँ अलिद बाए निलय में खुलता है। इनके खलने के स्थान से त्रिदली एवं द्विदली कपाट क्रमशः लगे होते हैं, जो पुनः रक्त को वापस नहीं आने देते तथा उनमें शद्ध एवं अशुद्ध रक्त को आपस में मिलने से रोकते हैं। अतः शद्ध एवं अशद्ध रक्त आपस में मिले नहीं इसके लिए हृदय में कपाटों की आवश्यकता अनिवार्य है।


58. श्वसन और दहन में दो अंतर लिखें।

उत्तर ⇒ श्वसन एवं दहन में निम्न अंतर हैं –

1. पादप हॉर्मोन क्या हैं ?

उत्तर ⇒  पादप (पौधे) में कुछ रासायनिक पदार्थों की वृद्धि होती है । ये उनकी गतिविधि को नियंत्रण तथा समन्वय करते हैं । वे ही रसायन पादप हॉर्मोन कहलाते हैं।


2. प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन में क्या अंतर है ?

उत्तर ⇒  प्रकाशानुवर्तन – पौधे के शीर्ष प्रकाश की दिशा में अग्रसर होते हैं । इसे प्रकाशानुवर्तन कहा जाता है।
गुरुत्वानुवर्तन – पौधे के जड़ गुरुत्वाकर्षण की दिशा में अग्रसर होते हैं इसे गुरुत्वानुवर्तन कहा जाता है।


3. प्रतिवर्ती क्रिया तथा प्रतिवर्ती चाप में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  प्रतिवर्ती क्रिया-वह क्रिया है जिसे मेरूरज्जू नियंत्रित करता है तथा यह क्रिया हमारी इच्छा से नियंत्रित नहीं होती । इसके विषय में हम सोच नहीं सकते।प्रतिवती चाप न्यूरॉनों में आवेग संचरण एक निश्चित पथ में होता है। इस पथ को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।


4. मनुष्य में चीनी के पाचन में कौन-सा हॉर्मोन सहायक है ?

उत्तर ⇒  चीनी के पाचन में इन्सलिन सहायक है, जिसकी कमी से मधुमेह हो जाता है।


5. पीयूष ग्रंथि को ‘मास्टर ग्रंथि’ क्यों कहते हैं ?

उत्तर ⇒  पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क के आधार तल पर ऑप्टिक काइज्मा के पीछे सेलाटर्सिका गुहा में बन्द रहती है। शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो पीयूष ग्रंथि से प्रभावित न होता हो। इसी कारण इसे ‘मास्टर ग्रंथि’ भी कहते हैं।


6. आयोडीन की कमी से कौन-सी बीमारी होती है तथा कैसे ?

उत्तर ⇒  आयोडीन की कमी से घेघा (Goitre) रोग होता है। आयोडीन की कमी के कारण थायरॉक्सिन नामक हार्मोन उचित मात्रा में स्रावित नहीं हो पाता है, जिससे थॉयराइड ग्रंथि का आकार काफी बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप गले में सूजन हो जाता है। शरीर की इस अवस्था को घंघा रोग के नाम से जाना जाता है।


7. गुरुत्वानुवर्तन का प्रदर्शन चित्र के द्वारा करें।

उत्तर ⇒  पौधों की वह गति जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की दिशा में होती है, गुरुत्वानुवर्तन कहलाती है।


8. पिट्यूटरी ग्रंथि के मध्य पिंडक से कौन-सा हार्मोन स्रावित होता है ? इसके क्या कार्य हैं ?

उत्तर ⇒  मध्य पिंडक हमेशा अग्र पिंडक से ढंका होता है, जिसके द्वारा मेलेनोसाइट स्टीमलेटिंग हॉर्मोन स्रावित होता है। यह शरीर के रंग को निर्धारित करता है।


9. मादा में प्रसव के समय कौन-सा हार्मोन स्रावित होता है ? इसका क्या कार्य है ?

उत्तर ⇒  मादा में प्रसव से पूर्व रीलैक्सिन नामक हार्मोन स्रावित होता है। यह नन स्टीरॉयड हार्मान है, जो प्यूबिक सिम्फैसिस को रीलैक्स करता है।


10. रवत में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन किस ग्रंथि द्वारा स्त्रावित होते हैं ?

उत्तर ⇒  रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन अग्न्याशय में विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं के समूह, लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ (Islets of Langerhans) द्वारा स्रावित होते हैं।


11. मनुष्य के मस्तिष्क को कितने भाग में बाँटा गया है, नाम सहित बताएँ।

उत्तर ⇒  मनुष्य के मस्तिष्क को तीन भागों में बाँटा गया है।

(i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)

(ii) मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)

(iii) पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)


12. पेरूरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ?

उत्तर ⇒  मेरूरज्ज आघात के कारण विभिन्न प्रकार के आतरिक संवेदना या उद्दीपनों को ग्रहण करना मश्किल हो जाता है। भौतिक, रासायनिक एव यात्रिक आदि को ग्रहण कर उनका संवहन शरीर के विभिन्न भागों में करना असंभव हो जाता है। इसके कारण शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाती है।


13. मानव शरीर में कैल्सियम-फॉस्फोरस सामंजन हेतु आवश्यक दो हॉर्मोन का नाम लिखें।

उत्तर ⇒  पाराथायरायड ग्रंथि से पाराथार्मोन तथा कैल्सिटोनिन नामक दो हॉर्मोन निकलते हैं, जो कैल्सियम फास्फोरस, सामंजन हेतु आवश्यक है ।


14. मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्यों का वर्णन करें ।

उत्तर ⇒  मस्तिष्क के महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं –

(i) आवेग ग्रहण करना तथा मस्तिष्क में ग्रहण किये गये आवेगों का विश्लेषण करना।
(ii) ग्रहण किये गये आवेगों की अनुक्रिया।
(iii) विभिन्न आवेगों का सहबंधन कर विभिन्न शारीरिक कार्यों का कुशलतापूर्वक समन्वय करना।

(iv) सूचनाओं का भंडारण करना। मस्तिष्क में अनेक सूचनाएँ चेतना या ज्ञान के रूप में रहती है। इसी कारणवश, मानव मस्तिष्क को चेतना या ज्ञान का भंडार भी कहा गया है।


15. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?

उत्तर ⇒  पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोनों के कारण होता है। अपने कछ विशिष्ट भागों को प्रभावित करने के लिए पादप विशिष्ट हॉर्मोनों को उत्पन्न करते हैं। पादपों में प्रकाश जिस ओर रहेगा उसी दिशा की ओर प्ररोह बढेगा। पादपों में जलानवर्तन और रसायनावर्तन इसी प्रकार होता है। गुरुत्वानुवर्तन जड़ों को नीचे की ओर मोडकर अनुक्रिया करता है। परागनलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना रसायनावर्तन का ही उदाहरण है।


16. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?

उत्तर ⇒  अंगतंत्रों के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बिना नियंत्रण के अंगों के कार्य करने का समय एक नहीं होता एवं वे व्यवस्थित ढंग से अपने कार्य का संपादन नहीं कर सकेंगे। इसलिए, जीवों के विभिन्न अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय एवं नियंत्रण उनके विभिन्न कार्यों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक है।


17. हॉर्मोन थाइरॉक्सिन का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒  हॉर्मोन थाइरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय (general metabolism) का नियंत्रण करता है। अतः यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषकर हड्डियों, बालों इत्यादि के विकास के लिए आवश्यक है। आयोडिन की कमी से थायरॉइड ग्रंथि द्वारा बननेवाला हॉर्मोन कम बनता है जिसकी गति को बढ़ाने के प्रयास में कभी-कभी थायरॉइड ग्रंथि बढ़ जाती है जिसे घेघा या गलगंड (goitre) कहते हैं। थायरॉक्सिन मानसिक व शारीरिक वृद्धि को प्रभावित करता है।


18. नर तथा मादा जनन हार्मोन के नाम एवं कार्य लिखें।

उत्तर ⇒  नर तथा मादा जनन हार्मोनों के नाम एवं कार्य निम्नलिखित हैं –

(i) नर जनन हार्मान (Testosterone/Androgen)

(ii) मादा जनन हार्मोन (Progesterone and Estrogen)

कार्य:

(i) हार्मोन के निर्माण में सहायक होना।
(ii) द्वितीय जनन लक्षण को नियंत्रित करना।
(iii) गर्भावस्था में होने वाली क्रियाओं में सहायक होना।


19. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?

उत्तर ⇒  अंगतंत्रों के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है । बिना नियंत्रण के अंगों के कार्य करने का समय एक नहीं होता एवं वे व्यवस्थित ढंग से अपने कार्य का संपादन नहीं कर सकेंगे। इसलिए, जीवों के विभिन्न अंगों एवं अंगतंत्रों का समन्वय एवं नियंत्रण उनके विभिन्न कार्यों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक है।


20. जिबरेलिन्स की मुख्य उपयोगिता क्या है ?

उत्तर ⇒  जिबरेलिन्स नामक पादप हॉर्मोन एक जटिल कार्बनिक यौगिक है। कोशिका-विभाजन एवं दीर्घन द्वारा ये पौधे के स्तंभ की लंबाई में वृद्धि करते हैं । इनके उपयोग से बड़े आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है। बीजरहित फलों के उत्पादन में ये ऑक्जिन की तरह सहायक होते हैं ।


21. कोई व्यक्ति अनजाने में जब किसी गर्म सतह को स्पर्श करता है, तो अचानक अपना हाथ पीछे खींच लेता है, इस प्रतिक्रिया का क्या कहते हैं ?

उत्तर ⇒  जब कोई व्यक्ति गर्म सतह को अचानक स्पर्श करने के बाद हाथ पाछ खींच लेता है, तो इसे प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं । यह हमें विभिन्न घटनाओ से बचाता है।


22. साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य की चर्चा करें।

उत्तर ⇒  साइटोकाइनिन एक पादप हार्मोन है, जिनके मुख्य कार्य हैं –

(i) कोशिकाद्रव का विभाजन
(ii) बीज की प्रसप्ति को खत्म कर उसकी अंकरण को प्रात्साहित करता है।
(iii) पौधों की पत्तियों को अधिक समय तक हरी एवं ताजी बनाये रखता है।
(iv) पत्तियों में जीर्णता को रोकता है।


23. मनष्य के शरीर में पायी जाने वाली अंतःस्त्रावी ग्रंथियों के नाम लिखे।

उत्तर ⇒  मनुष्य के शरीर में पायी जाने वाली अंत:स्रावी ग्रंथियाँ निम्नलिखित है –

(i) पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland)
(ii) थायरॉइड ग्रंथि (thyroid gland)
(iii) पाराथायरॉइड ग्रंथि (parathyroid gland)
(iv) एड्रीनल ग्रंथि (adrenal gland)
(v) अग्न्याशय की लैंगरहैंस की द्वीपिकाएँ (Islets of Langerhans)
(vi) जनन ग्रंथियाँ (gonads) : अंडाशय (ovary) व वृषण (testes)


24. साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन में कौन-सी भूमिका अदा करती है ?

उत्तर ⇒  साइटोकाइनिन एक प्रकार का पादप हार्मोन है, जो कोशिका द्रव के विभाजन को प्रोन्नत करता है। यह कभी भी अकेले कार्य नहीं करता है, हमेशा ऑक्जिन के साथ मिलकर यह कोशिका विभाजन को प्रोत्साहित करता है। यह पत्तियों में जीर्णता को भी रोकता है।


25. आयोडीनयुक्त नमक लेने की सलाह क्यों दी जाती है ?

उत्तर ⇒  थायरायड ग्रंथि के द्वारा थाइरॉक्सिन नामक हॉमोन का स्राव होता है। थाइरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन का होना आवश्यक है। यह कार्बोहाइटेट प्रोटीन तथा वसा के सामान्य उपापचय को नियंत्रित करता है।


26. वृद्धि नियंत्रक पदार्थ किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाएँ।

उत्तर ⇒  जो पदार्थ बहुत अल्प मात्रा में स्रावित होकर विसरण के द्वारा पौधों के विभिन्न अंगों में पहुँचते हैं, वे उनकी वृद्धि एवं कई उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण एवं समन्वय करते हैं। इन पदार्थों को वृद्धि नियंत्रक पदार्थ कहते हैं। ये कार्बनिक यौगिक हैं, जो पौधों से तो उत्पन्न नहीं होते हैं परंतु पादप-हार्मोन की तरह व्यवहृत होते हैं। उदाहरण के लिए ऑक्जिन, जिबरैलिन, साइटोकाइनिन इत्यादि।


27. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?

उत्तर ⇒  मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग अग्र-मस्तिष्क है । इसमें विभिन्न ग्राही संवेदी आवेग प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं । सामान्य प्रतिवर्ती क्रिया जैसे पतली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे की खिसकाना’ के मध्य एक पेशी गति का सेट है जिसपर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है । क्रियाओं में से कई मध्य मस्तिष्क तथा पश्च मस्तिष्क से नियंत्रित होती है


28. स्पर्शानुकुंचन क्या है? छुईमई की पत्तियों में कौन-सी गति प्रदर्शित होती है ?

उत्तर ⇒  पौधों में बाह्य उद्दीपनों को ग्रहण करने की विशेष क्षमता होती है। स्पर्श के प्रति अनुक्रिया को स्पर्शानुकुंचन कहते हैं। छईमई की पत्तियों को स्पर्श के कारण जल की मात्रा में परिवर्तन हो जाता है। जिसके कारण इनकी आकृति बदल जाती है तथा ये नीचे झुक जाती है।


29. तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है ?

उत्तर ⇒  मनुष्य में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र बहुत विकसित होता है। इसमें

(i) मस्तिष्क,

(ii) मेरुरज्जु तथा

(iii) संबंधित तंत्रिकाएँ होती हैं। 

मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का मुख्य केंद्र होता है और शरीर के सभी अंगों का समन्वयन करता है। यह खोपड़ी में स्थित होता है। मेरुरज्जु, रीढ़ की हड्डी के बीच में स्थित होता है। तंत्रिकायें महीन धागे के आकार की संरचनायें होती हैं जो मस्तिष्क और मेरुरज्जु से जुड़ी होती हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं से जुड़ी होती हैं। कार्य के आधार पर तंत्रिकाओं को दो भागों में बाँटा गया है
(i) संवेदी तंत्रिकायें – संवेदी तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन को प्रभावी भागों से मस्तिष्क और मेरुरज्जु को ले जाती हैं।
(ii) प्रेरक तंत्रिकायें – प्रेरक तंत्रिकायें वे होती हैं जो उद्दीपन का उत्तर प्रभावित भागों तक ले जाते हैं।


30. मनष्य में कौन-सी ऐसी ग्रंथि है, जिससे इंजाइम तथा हॉर्मोन दोनों स्त्रावित होता है ?

उत्तर ⇒  अग्न्याशय (Pancreas) एक ऐसी ग्रंथि है जिससे इंजाइम तथा हॉर्मोन दोनों स्रावित होते हैं। यह छोटी आँत के पास पायी जाती है।


31. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं ?

उत्तर ⇒  अगरबत्ती या किसी गंध का पता हम अग्रमस्तिष्क से करते हैं। गंध का पता करने के लिए संवेदी केन्द्र होता है, जिससे गंध की सुचना प्राप्त होती है। नासिका में उपस्थित घ्राण ग्राही के कारण हम एक अगरबती की गंध का पता लगाते हैं।


32. पौधों में प्रकाशानवर्तन का चित्र बनाकर ऋणात्मक और धनात्मक प्रकाशानुवर्तन को दिखायें।

उत्तर ⇒  पौधों में बाह्य उद्यीपनों को ग्रहण करने की क्षमता होता है तथा उसके अनुसार उसमें गति भी होती है। प्रकाशानुवर्तन में पौधों के अंग प्रकाश की ओर गति करते हैं। इस प्रकार की गति तने के शीर्ष भाग या पत्तियों में स्पष्ट दिखती है जो धनात्मक है। जड़ प्रकाश से दूर मुड़कर अनुक्रिया करती है जो ऋणात्मक है।

नियत्रण एवं समन्वय

33. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए अभिकल्पना की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।

उत्तर ⇒  जलानुवर्तन दर्शाने के लिए हम लकडी का ऊपर से खुला बक्सा लेंगे। इसमें मिट्टी व खाद्य का मिश्रण डालेंगे । इसके एक सिरे पर हम एक पौधा लगाएँगे। बक्से में पौधे की विपरीत दिशा में एक कीप मिट्टी में गाड़ देंगे, पौधों को उसी कीप से प्रतिदिन पानी डालेंगे। लगभग एक हफ्ते के बाद पौधे के निकट की मिट्टी हटाकर हम ध्यान से देखेंगे। पौधे की जड़ों की वृद्धि उसी दिशा में दिखेगी जिस दिशा से कीप द्वारा पौधे की सिंचाई की जाती थी।

Leave a Comment